Electrostatic disinfection machine

कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए भारत बना रहा है मशीन

Electrostatic disinfection machineकोविड-19 (COVID-19) के संक्रमण को रोकने में केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (CSIO) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इलेक्ट्रोस्टेटिक रोगाणुनाशक मशीन (Electrostatic disinfection machine) प्रभावी साबित हो सकती है।

यह मशीन करीब 50 हजार रुपये की लागत से विकसित की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बीएचईएल में बड़े पैमाने पर इस मशीन का उत्पादन किया जाएगा तो इसकी लागत और भी कम हो सकती है।

बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रोस्टेटिक रोगाणुनाशक मशीन (Electrostatic disinfection machine)  का उत्पादन करने के लिए इसकी तकनीक को भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) को सौंपा गया है।

यह इलेक्ट्रोस्टेटिक रोगाणुनाशक मशीन स्थिरवैद्युतिक रूप से आवेशित अत्यंत सूक्ष्म द्रव कणों का छिड़काव कर सकती है।

इस मशीन के उपयोग से संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों से किसी सतह को मुक्त किया जा सकता है। इसमें किसी भी दवा का उपयोग छिड़काव के लिए किया जा सकता है।

मशीन से 10-20 माइक्रोन आकार के सूक्ष्म द्रव कणों का छिड़काव कर सकते हैं। बाजार में मिलने वाली इस तरह की दूसरी मशीनें आमतौर पर 40-50 माइक्रोन आकार के द्रव कणों का छिड़काव कर पाती हैं।

सीएसआईओ के वैज्ञानिक डॉ मनोज पटेल ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “मशीन से निकलने वाले द्रव कणों के प्रवाह की दर 110 मिलीलीटर प्रति मिनट है। हालाँकि, इसकी प्रवाह दर में बदलाव भी जा सकता है।

दूसरी मशीनों के मुकबाले इलेक्ट्रोस्टेटिक रोगाणुनाशक मशीन (Electrostatic disinfection machine)   बेहद छोटे और समान आकार के द्रव कणों का छिड़काव करने में प्रभावी पायी गई है।

छिड़काव के दौरान इलेक्ट्रोस्टेटिक रोगाणुनाशक मशीन से निकलने वाले द्रव कणों से सतह पर किसी वायरस या संक्रमण के बचे रहने की संभावना लगभग न के बराबर रह जाती है।”

इस इलेक्ट्रोस्टेटिक रोगाणुनाशक मशीन को मुख्य रूप से अस्पतालों, एयरपोर्ट, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थलों की सफाई के लिए बनाया गया था। लेकिन, इसका उपयोग अब कोविड-19 के संक्रमण को दूर करने में भी किया जा सकता है।

इलेक्ट्रोस्टेटिक रोगाणुनाशक मशीन (Electrostatic disinfection machine) सतह को पूरी तरह कवर कर सकती है और इसमें दवा का उपयोग भी लगभग आधा हो सकता है।

डॉ पटेल ने बताया कि “इस मशीन का उपयोग इनडोर-आउटडोर दोनों जगह सैनिटाइजेशन के लिए किया जा सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसका असर हानिकारक सूक्ष्मजीवों पर सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक हो सकता है।

यह तकनीक आवेशित कणों पर आधारित है, कोविड-19 से संक्रमित सतह से वायरस को हटाने में कारगर हो सकती है।”

चंडीगढ़ स्थित सीएसआईओ (CSIO) वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की एक प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोगशाला है।

कोविड-19 से निपटने के अपने प्रयासों को तेज करने के लिए सीएसआईआर ने हाल में बीएचईएल के अलावा दवा निर्माता कंपनी सिप्ला और साफ्टवेयर जगत की कंपनी टीसीएस की लाइफ साइंस विंग के साथ करार किया है।

इस इलेक्ट्रोस्टेटिक रोगाणुनाशक मशीन का उत्पादन हरिद्वार स्थित बीएचईएल की प्रमुख विनिर्माण इकाई में किया जाएगा।

इलेक्ट्रोस्टेटिक रोगाणुनाशक मशीन को सीएसआईआर मिशन-मोड प्रोग्राम ऑन फूड ऐंड कंज्यूमर सेफ्टी सॉल्यूशन (फोकस) के तहत विकसित किया गया है।