वैश्विक स्तर पर जारी प्रतिकूल आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद पिछले तीन वर्षों के दौरान निरंतर व्यापार सुधारों के जरिए भारत के निर्यात क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को जाता है। भारत दुनिया की उन उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो दुनियाभर में विपरीत आर्थिक परिस्थितियां होने के बावजूद उसके प्रभाव से बचा हुआ है।
वैश्विक मंदी के कारण वैश्विक व्यापार में गंभीर गिरावट आई और वैश्विक कमोडिटी कीमतों में तेज गिरावट के कारण निर्यात को नुकसान पहुंचा। इससे विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में तेल और खन्न उत्पाद निर्यातकों को बहुत ज़्यादा नुकसान हुआ। लेकिन घरेलू बाज़ार के विस्तार और मोदी सरकार के मेक इन इंडिया अभियान की वजह से भारत इस वैश्विक मंदी से बच गया। भारत को तेल और इस्पात, सीमेंट जैसी अन्य वैश्विक वस्तुओं की गिरती कीमतों का फायदा मिला, जिसने भारत के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के साथ ही व्यापार को बढ़ाने में भी मदद की।
इस प्रतिकूल परिस्थिति में, मार्च 2017 में भारत ने निर्यात में दो अंकों की बढ़ोतरी के लक्ष्य को पाने के लिए बेहतर प्रदर्शन किया, जो पिछले तीन साल पहले की तुलना में पिछले सभी उच्च वृद्धि के आकड़ों को पार कर गया। अक्टूबर 2014 के बाद से करीब दो सालों तक नकारात्मक स्थिति में रही भारत की निर्यात विकास दर, सितंबर 2016 में सकारात्मक स्थिति में पहुंच गई। इसके बाद से ही, इस निर्यात विकास दर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। निरंतर व्यापार सुधारों को कार्यान्वयित करने के लिए मोदी सरकार को धन्यवाद।
रुपये की स्थिति बेहतर होते हुए भी, भारत में दो अंकों की यह व्यापार वृद्धि इस वर्ष मार्च में हुई। हालांकि किसी भी निर्यातक ने इसका स्वागत नहीं किया। इसका श्रेय सरकार की निर्यात सुधार रणनीति को ही जाता है, कि रुपये की गिरावट की तुलना में स्थिर मुद्रा दर, निर्यात वृद्धि को बेहतर बनाए रखने में मदद करेगी।
भारतीय निर्यातक संघ संगठन के अध्यक्ष जी.के. गुप्ता खुद इस बात को स्वीकार करते हैं कि निर्यात के क्षेत्र में छह माह से भी अधिक समय से निरंतर जारी सकारात्मक वृद्धि न केवल उत्साहजनक संकेत हैं, बल्कि निर्यात समुदाय और सरकार द्वारा समर्पण, प्रतिबद्धता और कड़ी मेहनत का प्रतीक भी हैं। यह भारत को चुनौतियों से निपटने और बेहतर दिशा में आगे पहुंचाने के लिए काफी अच्छा है।
भारत में व्यापार में सफलता के मुख्य कारकों में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयास, निर्यात उन्मुख उद्योंगों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करना, व्यापार की प्रक्रिया को सरल करना, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया शामिल हैं। इन सभी ने न केवल नौकरी सृजन में वृद्धि, बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि सुनिश्चित करने का काम किया। अब वह निर्यात दो अंकीय विकास की दर में परिवर्तित हो गया है। उम्मीद है कि आने वाले सालों में भारत का व्यापारिक निर्यात 500 बिलियन डॉलर से अधिक और दोतरफा व्यापार 1 खरब डॉलर से अधिक होगा।
यदि सेवाओं को निर्यात में शामिल किया जाता है, तो दोतरफा व्यापार एक खरब डॉलर से अधिक हो जाएगा। भारत के व्यापार को बढ़ावा देने वाला एक अन्य कारक अप्रत्यक्ष कर है, जो इस वर्ष जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर के रूप में लागू होने जा रहा है। एक राष्ट्र, एक कर और एक साझा बाज़ार व्यवस्था लेनदेन की लागत को कम करने के साथ-साथ लॉजिस्टिक में खपने वाले समय को कम करने जा रही है, ताकि व्यापार को कई गुणा बढ़ाया जाके। डीजीएफटी पहले से ही जीएसटी के साथ मिलकर दरों को संरेखित करने पर कार्य कर रही है।
— के आर सौदामन
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