दक्षिण चीन सागर के सामने क्वान्टन पोर्ट के दौरे पर भारतीय नौसेना के जहाज

नई दिल्ली, 14 मई (जनसमा)। भारत ने ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत भारतीय नौसेना के दो जहाजों शिवालिक और ज्योति को दक्षिण पूर्वी एशिया और दक्षिणी हिंद महासागर में स्थित मलेशिया के क्वान्टन पोर्ट के दौरे पर भेजा है, जहां जहाज 14 मई से 19 मई, 2017 तक तैनात रहेंगे। आईएनएस शिवालिक एके कप्तान आर विनोद कुमार है जबकि आईएनएस ज्योति के कप्तान एस श्याम सुंदर है।

क्वान्टन पोर्ट मलेशिया प्रायद्वीपीय के पूर्वी तट क्षेत्र में एक बहुउद्देश्यीय बंदरगाह है जो क्वान्टन शहर के उत्तर में 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पोर्ट दक्षिण चीन सागर के सामने है।

भारतीय नौसेना के जहाजों की यात्रा समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने और भारत और मलेशिया के बीच मौजूदा संबंधों को और मजबूत करने के लिए है। भारत की शांतिपूर्ण उपस्थिति, एकजुटता का प्रतीक है जिससे दोनों देशों के मित्रवत और सामंजस्यपूर्ण रिष्ते और अच्छे हों। दोनों देश एक समृद्ध इतिहास और एक रणनीतिक संबंध साझा करते हैं। विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच कई द्विपक्षीय समझौते हुए है।

यह फोटो नौसेना के जहाज शिवालिक और ज्योति की नहीं है। जून 2012 में रूस के व्हाईट सागर में एंकर पर विक्रमादित्य जहाज।

पोर्ट पर ठहरने के दौरान दोनों देशों के नौसैनिक पेशेवर बातचीत करेंगे। साथ ही आधिकारिक कॉल के अलावा पर्यटको को जहाज की सैर का अवसर भी देेने की योजना है।

इस साल अप्रैल में मलेशिया के प्रधान मंत्री नजीब रजाक ने भारत का दौरा किया था और भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से द्विपक्षीय वार्ता के लिए मुलाकात की और दोनों देशों के बीच साझेदारी को बढ़ाया। पिछले साल जुलाई में रॉयल मलेशिया नौसेना के चीफ एडमिरल टैन अहमद कामारुलजमन ने दोनों देशों  की नौसेनाओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भारत की यात्रा की थीं।

हिन्द महासागर क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से समुद्री चिंताओं को ध्यान में रखते हुए हाल के दिनों में भारतीय नौसेना ने अपने जहाजों को तेजी से तैनात किया है। इसके अलावा, भारत सरकार नेे सागर सुरक्षा के मद्देनजर निगरानी, खोज और बचाव के साथ हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित देशों की सहायता करने और उनकी क्षमताएं बढ़ाने में भी सहयोग दिया है।

पिछले कुछ दशकों में भारत ने स्वदेशी तौर पर युद्धपोतों के डिजाइन और निर्माण में पर्याप्त प्रगति की है और इन क्षमताओं के गवाह है यात्रा करने वाले जहाज।