भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक आईएनएस किल्टन को एक भव्य समारोह में राष्ट्र को समर्पित किया गया। इस युद्धपोत के निर्माण के विचार को 10 अगस्त 2010 को अंतिम रूप दिया गया और 26 मार्च 2013 को इसके निर्माण की शुरूआत की गई ।
रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने सोमवार को नौसेना डॉकयार्ड विशाखापट्नम में संपन्न एक भव्य समारोह में आईएनएस किल्टन (पी 30) को राष्ट्र को समर्पित किया।
आईएनएस किल्टन भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना गया है। आईएनएस किल्टन का पहला समुद्री परीक्षण 6 मई 2017 से शुरू किया गया तथा 14 अक्टूबर 2017 को जीआरएसई द्वारा इसे भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया । यह युद्धपोत डीजल एंड डीजल (सीओडीएडी) के प्रणोदन प्रणाली द्वारा संचालित है जिसमें 25 समुद्री मील से अधिक गति हासिल करने के लिए चार डीजल इंजन की व्यवस्था होती है और लगभग 3500 नौटिकल मील की सहनशक्ति क्षमता है।
परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध की स्थितियों में लड़ने में सक्षम इस युद्धपोत में 80 फीसदी से अधिक उपकरण और प्रणाली स्वदेश निर्मित है। इसके साथ ही, पी -28 हथियार और संवेदी क्षमता मुख्य रूप से स्वदेशी है और यह इस क्षेत्र में देश की बढ़ती क्षमता को प्रदर्शित करता है। आईएनएस किल्टन पूरी तरह से मिश्रित सामग्री के अधोसंरचना के साथ पहला प्रमुख युद्धपोत है।
इस प्रमुख युद्धपोत पर पहली बार समग्र अधिरचना पर आधारित हथियार और सेंसर स्थापित किए गए हैं। आईएनएस किल्टन पर लगाए गए समग्र अधिरचना ने भारतीय नौसेना के युद्धपोतों पर उन्नत इंजीनियरिंग सामग्रियों के उपयोग को वजन और स्थिरता मानकों में महत्वपूर्ण सुधार के साथ उपयोग किया है।
एएसडब्लू सक्षम हेलिकॉप्टर के अलावा हथियारों में भारी वजन टारपीडो, एएसडब्ल्यू रॉकेट, 76 एमएम कैलिबर मिडियम रेंज बंदूक और दो बहु-बैरल 30 एमएम बंदूकें शामिल हैं जो जिसमें क्लोज-इन-वेपन सिस्टम (सीआईडब्ल्यूएस) के रूप में समर्पित अग्नि नियंत्रण प्रणाली है।
युद्धपोत का नाम पुराने आईएनएस किल्टन (पी 79) एक पेट्या क्लास एएसडब्ल्यू युद्धपोत से लिया गया है जिसे 18 वर्ष की सेवा के बाद जून 1987 को बंद कर दिया गया था। लक्षद्वीप समूह के द्वीपों से संबंधित कोरल द्वीप के नाम पर इस युद्धपोत का नाम रखा गया जिसमें 15 अधिकारियों और 180 नाविकों की क्षमता है। 109 मीटर लंबा, 14 मीटर चौड़ा तथा 3300 टन के विस्थापन क्षमता के साथ भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली एंटी पनडुब्बी युद्धपोतों में से इसे एक माना जा सकता है।
आईएनएस किल्टन के शामिल होने से भारतीय नौसेना के पूर्वी बेड़े के एएसडब्ल्यू क्षमता में एक नया आयाम जोड़ देगा। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की बढ़ी हुई बहुआयामी क्षमता को प्रतिबिंबित करती है।
इस अवसर पर नौसेना अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा, वाइस एडमिरल एच सी एस बिष्ट, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ पूर्वी नौसेना कमांड रेयर एडमिरल वी के सक्सेना (सेवानिवृत), गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकता (जीआरएसई), कोलकता के सीएमडी कॉमोडोर एन बी कुंते (सेवानिवृत), पूर्व क्लिटन के पहले कमांडिंग ऑफिसर तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस समारोह को औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना के इन-हाउस संगठन नौसैनिक डिजाइन निदेशालय तथा गार्डन रिच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स, कोलकता द्वारा तैयार किए गए चार एएसडब्ल्यू कार्वेट्स के तीसरे नौसेना में शामिल होने के लिए चिह्नित किया गया है।
आईएनएस किल्टन को भारतीय नौसेना में शामिल करने के अवसर पर रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि स्वदेशीकरण के माध्यम से नौसेना की आत्मनिर्भरता के प्रति यह कदम बेहद ही सराहनीय है और इसने भारतीय नौसेना को खरीदार से एक निर्माता के रूप में बदल दिया है।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि नौसेना के बेड़े में आईएनएस किल्टन को शामिल करना इस परिवर्तन की पुन: पुष्टि करता है।
उन्होंने आगे कहा कि हमें अपने युद्धपोत निर्माण कार्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर तथा कम समय सीमा में और प्रतिस्पर्धी बना गुणवत्ता वाले युद्धपोतों के उत्पादन करने की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार सशस्त्र बलों और रक्षा उद्योग के लिए राष्ट्र की रक्षा आवश्यकताओं और अपेक्षित वित्तपोषण की सराहना करती है तथा जो नौसेना के आधुनिकीकरण और विकास योजनाओं के लिए बेहद आवश्यक है। बाद में रक्षा मंत्री ने कमिशनिंग प्लेक का अनावरण किया और युद्धपोत को देश को समर्पित किया।
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