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देश में अप्रत्यक्ष करदाता 50 फीसदी बढ़े : विश्लेषण

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के आरंभिक विश्लेषण बताते हैं कि अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।  यह बात आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में कही गई है जिसे सोमवार को केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री अरुण जेटली ने संसद के पटल पर प्रस्‍तुत किया।

टैक्स के लिए खुद ही पंजीकरण कराने वालों की संख्या बढ़ी है। खासकर छोटे उद्यमी जो बड़े उद्योग से खरीदारी करते हैं और स्वयं ही टैक्स जमा कराने चाहते हैं।

दिसंबर, 2017 में 9.8 मिलियन जीएसटी रजिस्ट्रेशन हुए। जीएसटी के अनेक लाभों में से एक लाभ यह है कि इसका स्वैच्छिक अनुपालन किया जाता है। कुछ आंकड़े इस परिघटना को स्पष्ट करते हैं। ऐसे लगभग 1.7 मिलियन पंजीयक जिनकी आय कर हेतु निर्धारित सीमा से कम है। अतः उनके लिए पंजीकरण करना आवश्यक नहीं है तो भी वह पंजीकरण कराते हैं। वास्तव में अनुमानित कुल 71 मिलियन गैर-कृषि उद्यमों में से हमारा अनुमान है कि लगभग 13 प्रतिशत जीएसटी में पंजीकृत है।

महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात ऐसे राज्य है जिनमें जीएसटी के तहत पंजीयकों की संख्या सबसे अधिक है। उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में कर पंजीयकों की संख्या में पुरानी कर व्यवस्था की तुलना में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।

मौजूदा आंकड़ों से यह ज्ञात होता है कि जीएसटी कर आधार (निर्यात छोड़कर) 65 से 70 लाख करोड़ रुपये है जो इन दो पूर्ववर्ती अनुमानों के काफी हद तक समान है। आरंभिक कुछ महीनों के दौरान किये गए औसत संग्रहण दर (कर भार) लगभग 15.6 प्रतिशत है। जैसा कि आरएनआर समिति द्वारा अनुमान लगाया गया है। राजस्व संग्रहण को निष्प्रभावित बनाए रखने वाली दर 15 से 16 प्रतिशत के बीच होगी।

विगत वर्षों की आर्थिक समीक्षा से कर आंकड़ों पर आधारित भारत में अंतर-राज्य व्यापार के आंकड़ों के प्रथम अनुमान प्राप्त होते हैं। इन अनुमानों को जीएसटी से पहले की व्यवस्था के अंतर्गत अंतर-राज्य करों (केंद्रीय बिक्रीकर) के भुगतानों से अलग किया जाना था।

इस वर्ष जीएसटी विवरणियों से हमें अंतर-राज्य व्यापार और इसके अनेक संबंधित आयामों पर प्रत्यक्ष आंकड़ें मिले हैं और भी उत्साहजनक बात यह है कि भारत के इतिहास में पहली बार हम माल और सेवाओं के अंतरराष्ट्रीय निर्यातों के राज्य-वार वितरण के बारे में जान पाए हैं। पांच राज्य-महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना इस क्रम में भारत के कुल निर्यातों में 70 प्रतिशत के भागीदार हैं।

पिछले वर्ष की आर्थिक समीक्षा में हमने अनुमान लगाया था कि माल में भारत का आंतरिक व्यापार जीडीपी का 30 से 50 प्रतिशत के बीच था, जोकि अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक है। जीएसटी आंकड़ों से यह पता चलता है कि भारत का माल और सेवाओँ में (गैर-जीएसटी माल और सेवाओं को छोड़कर) आंतरिक व्यापार वास्तव में और अधिक है जोकि जीडीपी का लगभग 60 प्रतिशत