चेन्नई, 18 अक्टूबर (जनसमा)। हरिजन सेवक संघ जैसे संस्थान जन-सेवा कर रहे हैं इसलिए इन्हें समाजसेवियों, कार्पोरेट और संसाधनों वाले व्यक्तियों से मदद मिलनी चाहिए।
यह विचार उपराष्ट्रपति, एम.वेंकैया नायडू ने मंगलवार को चेन्नई में ठक्कर बापा विद्यालय के पुनः समर्पण, ठक्कर बापा की पुनर्निर्मित मूर्ति के अनावरण और दीदी निर्मला देशपांडे निलयम के स्तंभ की आधारशिला की फाउंडेशन की पट्टिका के अनावरण के लिए आयोजित समारोह में व्यक्त किये।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दीदी निर्मला देशपांडे ने अपनी अंतिम सांस तक इस संगठन का नेतृत्व किया और वे समर्पित गांधीवादी थी।
उन्होंने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में हजारों लोगों के लिए एक उदाहरण स्थापित किया। उन्होंने भू-दान आंदोलन में भाग लिया और महात्मा गांधी जी के ग्राम स्वराज के संदेश को लोकप्रिय बनाने के लिए पूरे देश में 40,000 किलोमीटर लंबी पद यात्रा की। वह शांति की सच्ची दूत थी और उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव के लिए भी संघर्ष किया था।
ठक्कर बापा विद्यालय 2015 में बाढ़ के कारण तबाह हो गया था और आठ फीट गहरे पानी में चला गया था। 2016 में चक्रवात में यह फिर से क्षतिग्रस्त हो गया था और सबसे बड़े दुख की बात यह है कि बाढ़ में गांधीजी पर लिखी 10,000 से भी अधिक किताबें नष्ट हो गईं थीं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि अपील के बाद अनेक लोगों ने राष्ट्रपिता के बारे में लिखी अनेक किताबें इस विद्यालय को दान कर दी थीं। विद्यालय की कार्यशाला और मशीनरी की भी मरम्मत हो गई है।
ठक्कर बापा गांधीजी के निकट सहयोगी थे। उनकी मूर्ति भी जलमग्न हो गई थी। उसका नवीनीकरण किया गया है। इस मूर्ति का अनावरण करना मेरे लिए सम्मान की बात है। मुझे बताया गया है कि इस मूर्ति का मूल रूप से अनावरण 29.11.1962 को किया गया था।
वास्तव में यह गौरव की बात है कि डॉ राजेंद्र प्रसाद, श्री राजगोपालाचारी, श्री वेंकटरमन और दीदी निर्मला देशपांडे इस प्रतिष्ठित संस्थान से जुड़े थे।
यह संस्थान जो 1935 में हरिजन लड़कों के लिए औद्योगिक विद्यालय के रूप में शुरू किया गया था, अब इसमें सभी वर्गों के छात्रों का दाखिला हो रहा है समुदाय के भाइयों और बहनों को प्राथमिकता देते हुए सभी वर्गों को गांधीजी की इच्छानुसार एकीकृत कर रहा है।
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