मुंबई, 04 जून। महाराष्ट्र में भाजपा की हार के लिए आपसी गुटबंदी को ज्यादा जिम्मेदार माना जारहा है। लोकसभा चुनाव 2024 में महाराष्ट्र में भाजपा को काफी नुकसान हुआ है। 2019 में 23 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार सिर्फ केवल 10 सीटें जीत सकी और 13 सीटें हार गई।
राजनितिक टिप्पणीकरों के अनुसार महाराष्ट्र भाजपा में तीन गुट सक्रिय हैं और टिकटों के वितरण में भारी गड़बड़ी हुई है क्योंकि ये गुट एक-दूसरे को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे। बीजेपी के राजनीतिक हलकों में ऐसा माना जाता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में देवेन्द्र फडनवीस ने प्रकाश मेहता, विनोद तावड़े समेत कई नेताओं की उम्मीदवारी काट दी थी और इससे भाजपा में असंतोष के बादल छा गये थे ।
कहा जारहा है कि फड़णवीस ने बीते दस सालों में गोपीनाथ मुंडे के समर्थकों के प्रभाव को कम करने के लिए कई प्रयास किए हैं और इसी के चलते नेताओं का एक गुट बन गया। एक तरफ देवेन्द्र फड़णवीस और दूसरी तरफ मुंडे गुट के नेता हैं। तीसरा गुट वह है जो राजनीति की शतरंज पर ऊंट और हाथी की चाल चलने में अपनी भलाई समझता है। इसे और अन्य गुटों को दिल्ली के नेताओं का समर्थन है। नितिन गडकरी इन गुटों से स्वतंत्र हैं।
भाजपा के स्थानीय नेताओं ने दक्षिण मुंबई सीट पर बीजेपी के मंगल प्रभात लोढ़ा या राहुल नार्वेकर में से किसी एक को मैदान में उतारने की मांग की थी लेकिन फड़णवीस ने मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतारने के बजाय यह सीट शिवसेना (समझने के लिए शिंदे वाली) को दे दी। परिणाम यह हुआ कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के उम्मीदवार मुंबई उत्तर पूर्व से संजय दीना पाटिल, मुंबई दक्षिण मध्य से अनिल यशवंत देसाई और मुंबई दक्षिण से अरविंद गणपत सावंत चुनाव जीते जबकि उत्तर मुंबई से भाजपा के केवल पीयूष गोयल चुनाव ज़ीतने में सफल रहे।
पूनम महाजन और मनोज कोटक जैसे जीतने वाले उम्मीदवारों की जगह नए उम्मीदवारों को लाने का फैसला किया गया और अब इस फैसले के लिए पूरी तरह से देवेन्द्र फड़णवीस को जिम्मेदार माना जा रहा है।
चंद्रपुर सीट से चुनाव लड़ने की अनिच्छा के बावजूद, सुधीर मुनगंटीवार को लोकसभा के लिए नामांकित किया गया और वह दो लाख से अधिक वोटों से हार गए। अमरावती में पिछली बार निर्दलीय चुनी गईं श्रीमती नवनीत राणा को विरोध के बावजूद भाजपा उम्मीदवार के रूप में टिकट दिया गया और इस तरह फड़णवीस का निर्णय गलत हो गया और वह हार गई ।
महाराष्ट्र के जिला स्तर तक भाजपा में में चर्चा है कि धुले, भंडारा-गोंदिया, गढ़चिरौली-चिमूर, नांदेड़ और जालना सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार की हार के लिए पार्टी के अंदरूनी गुट भी जिम्मेदार हैं।
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