नई दिल्ली, 27 अगस्त | केंद्रीय कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारत को विवाद निपटारे का एक केंद्र बनने की वकालत करते हुए शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय पंचाट की पक्षपातपूर्ण प्रकृति का उल्लेख किया और कहा कि मौजूदा समय में केवल कुछ विकसित देशों का वहां पर कब्जा है। ‘ब्रिक्स में अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता’ विषय पर फिक्की और आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा संयुक्त रूप से यहां आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रसाद ने कहा, “केवल कुछ देशों को ही विवादों के निपटारे के केंद्र में क्यों होना चाहिए?”
गोवा में इस साल अक्टूबर में ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के नेताओं के प्रस्तावित शिखर सम्मेलन से पहले इस सम्मेलन का आयोजन एक शुरुआत के रूप में किया गया है। ब्रिक्स की अध्यक्षता इस वर्ष भारत के पास है।
कानून मंत्री ने कहा, “क्यों यह मान लिया गया है कि केवल पश्चिमी न्यायिक प्रणाली में प्रशिक्षित न्यायाधीश को ही अंतर्राष्ट्रीय विवाद निपटारा तंत्र में रखा जाए। मैं भारत के कानून मंत्री के रूप में यह साफ-साफ कह रहा हूं। अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता पक्रिया में करीब 70 प्रतिशत न्यायाधीश प्रथम दुनिया और विकसित देशों के हैं।”
प्रसाद ने कहा कि भारत में सबसे काबिल और बेहतरीन न्यायाधीश हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता प्रक्रिया में उनकी बहुत कम भागीदारी है।
अंतर्राष्ट्रीय पंचाट प्रणाली की वर्तमान कमियों का उल्लेख करते हुए प्रसाद ने कहा कि इस संबंध में द्विपक्षीय निवेश संधि (बिट) को लेकर भारत के पास मिश्रित अनुभव है।
उन्होंने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय पंचाट प्रणाली तदर्थ और लगातार अप्रत्याशित है। इस चिंता को दूर करना बहुत जरूरी है। दुनिया कभी भी सही मायने में वैश्विक नहीं हो पाएगी, अगर यह स्थानीयता से कटी हुई है।”
कानून मंत्री ने कहा कि बिट के नए भारतीय मॉडल की डिजाइन विदेशी निवेशकों की सुरक्षा करने के साथ-साथ भारतीय चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार की गई है।
मंत्री ने कहा, “विवाद निपटारे में सामाजिक चिताओं के लिए भी जगह बनानी है। यह किसी निवेश समझौते में पक्षों तक सीमित नहीं हो सकता है, बल्कि इसमें गरीबों की जरूरतों के लिए भी जगह होनी चाहिए।” –आईएएनएस
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