ट्रंप युग में अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य

क्या डोनाल्ड ट्रंप अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य बदल पाएंगे। क्या सभी की उम्मीदों पर खरा उतर पाएंगे। इस तरह के तमाम सवाल ट्रंप की ताजपोशी के बाद से लगाए जा रहे हैं। उन्होंने अपनी जीत में भारतीयों के योगदान की सराहना की है। चुनाव प्रचार से लेकर अपनी ताजपोशी तक डोनाल्ड ट्रंप का रवैया भारतीयता में रंगा नजर आया। जिस अंदाज से नरेंद्र मोदी ने भारत की कमान संभाली, ठीक उसी तर्ज पर डोनाल्ड ट्रंप भी अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर आसीन हुए।

ट्रंप के तकरीबन भाषणों में मोदी का अक्स देखने को मिला। उन्होंने मोदी के कई चुनावी नारों का इस्तेमाल किया। मसलन अबकी बार ट्रंप सरकार, डिजिटल अमेरिका आदि। कई मुल्कों ने डोनाल्ड ट्रंप की ताजपोशी का जमकर विरोध किया। लेकिन भारत उनकी जीत को उत्सव के रूप में मना रहा है। दरअसल ट्रंप इस्लामिक आतंक के खिलाफ है, उसे जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंने मोदी का समर्थन मांगा था।

नरेंद्र मोदी ने हर तरह से उनको सहयोग देने का आश्वासन दिया। यही वजह है कि डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी तकरीबन सभी चुनावी सभाओं में भारत के सहयोग व विशेषतौर पर मोदी का जिक्र किया। पाकिस्तान शुरू से ही डोनाल्ड ट्रंप का विरोध कर रहा है। पाकिस्तान का मानना है कि डोनाल्ड इस्लाम समुदाय के कट्टर विरोधी हैं। पाकिस्तान इस बात से डरा है कि अब वह बेवजह मुस्लमानों को परेशान करेंगे। जबकि सच्चाई यह है डोनाल्ड ट्रंप सिर्फ इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ है न कि इस्लाम से जुड़े लोगों के।

यक्ष प्रश्न अब यही उठता है कि ताजपोशी के बाद ट्रंप की नजर में भारत के प्रति रवैया कैसा रहेगा। भारत में डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक ही नहीं, बल्कि धीरे-धीरे उनके उपासकों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। ट्रंप की राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवारी से लेकर, उनकी ताजपोशी व उनके जन्मदिन को हिंदू सेना के समर्थक उत्सव के रूप में मनाते आ रहे हैं। बीस जनवरी को जब वह राष्ट्रपति पद की शपद ले रहे थे तो उसकी खुशी में हिंदू सेना की ओर से कई जगहों पर भंडारे का भी आयोजन किया गया था।

सवाल उठता है कि राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप का भारत के प्रति रवैया कैसा रहेगा। भारत के लिहाज से उनका चुनाव पूरी तरह से हिंदू- मुस्लिम हो गया था। भारत भी इस्लाम का दुश्मन नहीं है, पर इसके आड़ में आतंक की जो जड़े निकल रही है, उनका विरोध करता है। डोनाल्ड ट्रंप की जीत में हिंदुओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस बात का अहसास खुद डोनाल्ड ट्रंप को है।

अमेरिका में रहे लाखों भारतीय लोगों ने ट्रंप को सिर्फ इसलिए वोट दिया है कि वह आतंक का खात्मा करेंगे। आईएस आतंक को कुचलने के लिए रूस के पुतिन, तुर्की के तैयब एर्दोगान, भारत के नरेंद्र मोदी, जापान के शिंजो आबे, ब्रिटेन की थेरेसा में और फिलीपींस के रोद्रियों दुएते ने मिलकर जो रणनीति बनाई है, उससे निश्चित रूप से आतंक की कमर टूटेगी।

ट्रंप की ताजपोशी ने अंतर्राष्ट्रीय परि²श्य को बदलने सपनाई तस्वीर दिखाई है। भारत को उनसे बहुत उम्मीदें हैं। नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अभी तक के भाषणों में उग्रता दिखाई दी है। यदि वह सब कुछ वैसा ही करें, जैसा कि कहते रहे हैं तो यह तय है कि न तो अमेरिका पहले जैसा रह जाएगा और न ही दुनिया। पूरे संसार में बदलाव की बयार बहने लगेगी। अभी तब अमेरिका आतंक को खत्म करने की बात भी करता रहा है और दूसरी तरफ आतंक की नर्सरी पैदा करने वाले देशों को आर्थिक मद्द भी देता रहा है। इस दोहरे मापदंड की मानसिकता से बाहर निकलने का समय है।

राष्ट्रपति ट्रंप का अभी तक का रूख अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अपना प्रभुत्व कायम रखने के लिए तत्पर दिखाई पड़ रहा है। ट्रंप के समक्ष पूर्व के कई अनसुलझे मसलो-संबधों को सुलझाने की चुनौती रहेगी। पश्चिम एशिया के हालात अब क्या करवट लेंगे, देखने वाली बात होगी। वहीं सबसे बड़ी दिक्कत चीन की रहेगी। क्योंकि चीन अमेरिका को चुनौती देने से पीछे नहीं हटने वाला। पूर्व राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा के समय अमेरिका और रूस के संबंध ज्यादा मधुर नहीं रहे थे। दोनों नेताओं में कई मुद्दों पर मतभेद रहे थे। लेकिन डोनाल्ड ट्रंप की रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से दोस्ती जगजाहिर है। निश्चित रूप से हालात मधुर होंगे।

नरेंद्र मोदी और बराक ओबामा की दोस्ती ने दोनों देशों के विकास के लिए एक नई पटकथा लिखी है। दोनों के मिलते विचारों ने नई इबारत लिखी। अब उसे आगे बढ़ाने के लिए आगे भी मुकम्मल प्रयास होने की दरकार रहेगी। नेशनल मॉल में सर्द मौसम के बीच करीब आठ लाख लोगों के समक्ष ट्रंप को प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स ने जब अब्राहम लिंकन की बाइबल पर हाथ रखकर पद की शपथ दिलाई जा रही थी तो पूरी दुनिया की नजर बनी हुई थी।

ताजपोशी के बाद ट्रंप का दिया पहला भाषण कई मायनों में भारत व दूसरे देशों के लिए अहम है। अमेरिका के नए मुखिया ट्रंप ने धरती से कट्टरपंथी इस्लामी आंतकवाद का सफाया करने का संकल्प लिया। साथ ही उनका पूरे संसार को यह विश्वास दिलाया कि उनकी सरकार दूसरे देशों पर अपना शासन जबरन नहीं थोपेगी। अमेरिका द्वारा गुलामी का दंश झेलने वाले मुल्कों के लिए उनकी यह अपील राहत भरी होगी।

उन्होंने कहा है कि हम मिलकर अमेरिका और दुनिया की कार्यप्रणाली तय करेंगे जो आने वाली कई वर्षो के लिए होगी। साथ ही कहा हम चुनौतियों का सामना करेंगे, हम कठिनाइयों का सामना करेंगे। अपने प्रचार अभियान का परोक्ष रूप से हवाला देते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका की राजधानी में कुछ लोगों ने लंबे समय तक सरकार का फायदा उठाया, लेकिन लोगों को कीमत चुकानी पड़ी। वाशिंगटन समृद्ध हो गया, लेकिन लोगों ने इसकी समृद्धि को साझा नहीं किया। भारत को फिलहाल तत्काल किसी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए। ट्रंप के काम करने के तरीको पर नजर रखनी चाहिए। उन्हें थोड़ा समय देना होगा। –आईएएनएस/आईपीएन

===रमेश ठाकुर
(लेखक चर्चित स्तंभकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)