नई दिल्ली, 14 अगस्त (जस)। दिल्ली में आयोजित जांच एजेंसियों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन भाषण में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति यू. यू. ललित ने कानून की पूरी जानकारी होने और जांच के दौरान इन्हें पूरी तरह से लागू किए जाने पर बल दिया। जांच की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए उन्होंने विभिन्न जांच एजेंसियों और अभियोजन शाखा के बीच समन्वय पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि विस्तार और अंर्तज्ञान पर ध्यान देना एक अच्छे जांचकर्ता की पहचान है।
इससे पहले , 21 वें विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डॉ. बलबीर सिंह चौहान ने ‘दिल्ली पुलिस के समक्ष कानूनी मुद्दों’ पर आयोजित एक महत्वपूर्ण सत्र की अध्यक्षता की और मुख्य भाषण किया। इस सत्र में विधि आयोग के सदस्य न्यायमूर्ति रवि आर. त्रिपाठी ने भी हिस्सा लिया। शनिवार को जांच एजेंसियों के पहले दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने किया था। अपने उद्घाटन भाषण में उन्होंने इस तरह के सम्मेलन की सराहना की थी।
राजनाथ सिंह ने लंबे समय से महसूस की जा रही जांच की गुणवत्ता में सुधार की मांग पर बल देते हुए कहा कि इस तरह के सम्मेलन आजतक कभी आयोजित नहीं किए गए। दोषियों को सजा दिलाने और जांच की गुणवत्ता को बढ़ाने में इस तरह के सम्मेलनों को अभी लंबा वक्त लगेगा। अच्छी गुणवत्ता की जांच को प्रेरित करने के लिए राजनाथ ने देश भर में प्रति वर्ष अच्छे जांचकर्ताओं को 150 -200 पदक देने की घोषणा की। उन्होंने इन पदकों के लिए डीजी, बीपीअार एंड डी को मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाने को कहा है।
गृह मंत्री ने विश्वास जताया कि इस तरह के सम्मेलन आतंक संबंधी अपराध, साइबर अपराध, आर्थिक और संगठित अपराध की चुनौतियों को समाना करने में भारतीय पुलिस और जांच एजेंसियों को काफी मदद पहुंचाएंगे। उन्होंने महसूस किया कि जांच में मदद के लिए बीपीअार एंड डी को और अधिक शोध करना चाहिए। सिंह ने नए कानून बनाने और कानूनों में संशोधन की जरूरत पर भी बल दिया। उन्होंने जांच को मजबूती प्रदान करने के लिए सम्मेलन के नतीजों और सिफारिशों पर गृह मंत्रालय द्वारा विचार करने और इन्हें लागू करने के लिए सभी कदम उठाने का आश्वासन दिया।
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