वीनू ग्रोवर ===== राहु काल का नाम लेने से ही लोगों का मन भय और असमंजस से भर जाता है। ऐसा क्यों? आवश्यकता है कि हम स्पष्ट रूप से समझें कि राहु क्या है, इसका स्वरूप क्या है। अगर हम किसी भी चीज़ के सही स्वरूप को समझ लेते हैं तो हम उसका भय नहीं बल्कि समझदारी से सामना करते हैं।
राहु और केतु हिन्दू ज्योतिष या जिसे हम वैदिक ज्योतिष के नाम से भी जानते हैं, उसका हिस्सा हैं। इन्हें ज्योतिष में अन्य ग्रहों जैसे सूर्य, चद्र, मंगल आदि के बराबर स्थान दिया गया है। अंतर ये है की बाकी 7 (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुद्ध, गुरु, शुक्र और शनि ) ग्रह हैं जो ब्रह्माण्ड में घूमते हुए देखे जा सकते हैं। राहु और केतु भौतिक गृह नहीं बल्कि गणित के आधार पर कैलकुलेट किये गए दो बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु हैं। यह दोनों बिंदु भी अन्य ग्रहों की तरह ब्रह्माण्ड में एक निर्धारित पथ पर निरंतर चलते हैं और अन्य ग्रहों की तरह ही हमें प्रभावित भी करते हैं।
अब प्रश्न यह है कि राहु काल क्या है? साधारण शब्दों में कहें तो यह हर रोज़ लगभग डेढ़ घंटे का समय है जब राहु का प्रभाव प्रबल माना गया है। इसका कैलकुलेशन सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है इसलिए किसी भी दिन का पंचांग देख कर हम जान सकते हैं की उस दिन राहु काल कितने से कितने समय तक सक्रिय माना जा रहा है। सामान्यतः ज्योतिषियों को अंदाज़ा रहता है क्योंकि नियमानुसार सोमवार से रविवार तक, राहुकाल का क्रम नहीं बदलता। पर अगर एकदम सटीक अवधि और आरंभ एवं समाप्ति का समय जानना हो तो पंचांग देखना आवश्यक है।
तो राहु काल से अभिप्राय क्या है? हमें इस अवधि से क्या समझना है? यह हम जान चुके हैं कि यह वह अवधि है जब राहु का प्रभाव अत्यधिक है। तो अब हम इससे कैसे जुड़ते हैं, यह समझिये। राहु का तत्त्व है जोश, परंपरा से हट कर या उसे तोड़ कर काम करने का जूनून और परिणाम की परवाह किये बिना आगे बढ़ना।
यह विचारधारा या जज़्बा ज़ाहिर है हाई रिस्क है। इसमें सफलता की सम्भावना कम और हानि की अधिक होती है। क्योंकि राहु उस समय में सब पर प्रभावशाली है, तो अगर हम मान भी लें कि हम कोई भूल नहीं कर रहे हैं, तो भी और लोगों से भूल होने की संभावना पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। इसलिए राहु काल में सुझाव होता है की हम कोई नया काम, प्रोजेक्ट या कोई भी काम की नींव न डालें। नयी नौकरी की शुरुआत, नए घर में प्रवेश, किसी को बिज़नेस का या पर्सनल कोई प्रोपोज़ल देना, कोई नयी स्कीम लागू करना – इन सभी में फैलियर की संभावना बढ़ जाती है। काम के संतोषजनक परिणाम तक पहुँचने की सम्भावना कम हो जाती है। कोई काम जो आप पहले आरंभ कर चुके हैं, उससे जुड़ा कुछ भी करने में मनाही नहीं है। सरल शब्दों में राहु काल का यही महत्व है जो हमें ध्यान में रखना चाहिए।
यदि आप कोई बड़ा या ऐसा काम करने जा रहे हैं जिसके परिणाम लम्बे समय तक आपके जीवन को प्रभावित कर सकते हैं तो आपको एक ज्योतिषी से मुहूर्त निकलवा लेना चाहिए जिसमें वो आपकी कुंडली के साथ साथ राहु काल को भी ध्यान में रख कर अनुकूल समय का सुझाव दे सकेंगे। और समय कोई भी हो, कर्मठता और विनम्रता से आगे बढ़ें। सफलता और सीख, दोनों में जीत है।
( सुश्री वीनू ग्रोवर, एम़.बी़.ए, एवं ज्योतिषाचार्य —- युवा ज्योतिषी, अध्येता और विश्लेषक है। भारतीय ज्योतिष के अनेक विषयों पर उनका अध्ययन है। रोजमर्रा की जिन्दगी में आने वाली कठिनाइयों और व्यक्ति के मन के कन्फ्यूजन को दूर करने में उनका विवेचन मददगार होसकता है। – संपर्क : veenugg@gmail.com )
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