ब्रुनेई दारूस्सलाम में रामपुर रज़ा पुस्तकालय की इस्लामिक सुलेख के अनमोल चित्रों के संग्रह की एक प्रदर्शनी का उद्घाटन गुरूवार को भारत उत्सव कार्यक्रम के शुभांरभ के अवसर पर किया गया। इसका आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से किया गया।
प्रदर्शनी का उद्घाटन ब्रुनेई दारूस्सलाम के संस्कृति, युवा और खेल मंत्री यांग बेरहोर्मत पेहिन दातू लैलाराजा मेजर जनरल दातो पादुका सेरी हाजी अवांग हल्बी बिन हाजी मोहम्मद युसूफ ने किया।
प्रदर्शनी में पवित्र कुरान के छंदों और पारसी तथा अरबी भाषा की कविताओं एवं रामपुर रज़ा पुस्तकालय के संग्रह में से 3,000 से अधिक चुने हुए सुलेख सहित इनके 36 फोटो प्रदर्शित किये गये हैं।
प्रदर्शनी का आयोजन ब्रुनेई दारूस्सलाम के संस्कृति, युवा और खेल मंत्रालय तथा ब्रुनेई दारूस्सलाम में भारतीय उच्चायुक्त ने संयुक्त रूप से किया है। यह प्रदर्शनी 25 नवम्बर, 2017 तक लोगों के लिए खुली रहेगी।
उद्घाटन कार्यक्रम में ब्रुनेई दारूस्सलाम में भारतीय उच्चायुक्त श्रीमती नगमा एम. मलिक ने प्रदर्शनी को सुल्तान की स्वर्ण जयंती के अवसर पर ब्रुनेई दारूस्सलाम की सरकार और लोगों के प्रति भारत सरकार की ओर से एकता और मित्रता की भेंट बताया।
उन्होंने प्रदर्शित सुलेख को समरूप संस्कृति का उदाहरण बताते हुए कहा कि यह मुगल साम्राज्य के अंतर्गत पिछले सौ वर्ष से भी अधिक समय से प्राचीन भारतीय कला परम्परा और इस्लामिक संस्कृति के मिश्रण से बना नया सांस्कृतिक फूल है।
ब्रुनेई में दिसम्बर, 2016 में आयोजित भारत के इस्लामिक और अन्य स्मारकों की प्रदर्शनी में भी इसी समरूप संस्कृति के वास्तुशिल्प के पहलुओं को दर्शाया गया था।
सुलेख कला आज भी भारत में जीवित परम्परा है, जहां भारतीय विश्वविद्यालयों में अरबी और फारसी भाषा के अध्ययन के लिए 60 से अधिक विभाग हैं।
रामपुर रज़ा पुस्तकालय के निदेशक प्रो. सईद हसन अब्बास ने 17,000 मूल पांडुलिपियों सहित पुस्तकालय में संग्रहित खजाने के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कुछ प्रसिद्ध सुलेख लेखकों के नाम और उनके कार्यों के बारे में जानकारी दी, जिनके कार्य रामपुर रज़ा पुस्तकालय में संग्रहित है। उच्चायुक्त ने संगमरमर पर लिखे सुलेख को ब्रुनेई के मंत्री को उपहार में दिया।
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