संसद ने उस कानून पर मुहर लगादी जिसके बाद अब फर्जी तरीके से सिम जारी करने के मामलों पर अंकुश लगेगा। वहीँ फर्जी तरीके से सिम लेने वालों को तीन साल की जेल से लेकर 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
ने दिल्ली, 21 दिसंबर। संसद ने आज ‘दूरसंचार विधेयक, 2023’ को संशोधनों के साथ राज्यसभा की मंजूरी से पारित कर दिया है।
यह विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है। इसे दूरसंचार क्षेत्र, सेवाओं और उसके नेटवर्क में बदलाव और सुधार के लिए लाया गया है।
विधेयक का उद्देश्य दूरसंचार सेवाओं के विकास, विस्तार और संचालन से संबंधित कानून में संशोधन और समेकन करना है।
यह विधेयक ‘भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885’ को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करता है।
चर्चा के बाद विधेयक पर जवाब देते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, विधेयक का लक्ष्य दूरसंचार क्षेत्र में आमूल-चूल बदलाव लाना है।
उन्होंने कहा कि विधेयक उपयोगकर्ता सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता सुनिश्चित करता है।
उन्होंने कहा कि इससे प्रतिरूपण और फर्जी तरीके से सिम जारी करने के मामलों पर अंकुश लगेगा।
आईटी मंत्री ने कहा, उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है, जिसमें तीन साल की जेल से लेकर 50 लाख रुपये तक की सजा है।
मंत्री ने कहा कि विधेयक में एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र का प्रावधान किया गया है जो डिजाइन द्वारा डिजिटल है। उन्होंने कहा कि एक ऑनलाइन विवाद निवारण तंत्र उपभोक्ताओं को त्वरित समाधान प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा कि इससे स्पेक्ट्रम की पारदर्शी नीलामी सुनिश्चित होगी जो दूरसंचार क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
दूरसंचार सेवाओं में रुकावट के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि विधेयक में सभी जांच और संतुलन सुनिश्चित किया गया है जो समय-समय पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों और टिप्पणियों के अनुरूप है।
मंत्री ने कहा कि इस कानून के बाद एक नई नियामक सैंडबॉक्स प्रणाली अस्तित्व में आएगी जो स्टार्टअप और दूरसंचार क्षेत्र में लगी अन्य संस्थाओं के लिए एक सुचारू नियामक व्यवस्था सुनिश्चित करेगी।
इससे पहले, विधेयक को उच्च सदन में ले जाते हुए, वैष्णव ने ‘भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2008’ वापस ले लिया।
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