नई दिल्ली, 14 मार्च| कांग्रेस द्वारा मणिपुर और गोवा में सरकार बनाने के लिए जरूरी समर्थन हासिल करने के लिए धनबल के उपयोग का आरोप लगाए जाने के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि कांग्रेस कुछ ज्यादा ही शिकायत करती है। जेटली ने कहा कि गोवा की राज्यपाल ‘अल्पमत’ वाली कांग्रेस को सरकार बनाने का आमंत्रण नहीं दे सकती थीं।
जेटली ने मंगलवार को अपने फेसबुक पेज पर लिखा, “यहां तक कि कांग्रेस ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा तक पेश नहीं किया। उन्हें सिर्फ 17 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। मनोहर पर्रिकर चूंकि 21 विधायकों के समर्थन का दावा पेश कर चुके थे, ऐसे में राज्यपाल 17 विधायकों वाले अल्पमत के दावेदार को सरकार बनाने के लिए आमंत्रण नहीं दे सकती थीं।”
जेटली ने राज्यपाल के फैसले के समर्थन को सही ठहराते हुए कई पूर्व घटनाओं का जिक्र भी किया, जिसमें 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव की घटना शामिल है। दिल्ली विधानसभा चुनाव-2013 में सर्वाधिक 31 सीटें जीतने वाली भाजपा की जगह राज्यपाल ने 28 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी (आप) को सरकार बनाने का न्योता दिया था, जिसे कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था।
जेटली ने कहा, “कांग्रेस कुछ ज्यादा ही शिकायत करती रहती है। वे भाजपा पर गोवा में समर्थन हासिल करने के लिए धनबल के इस्तेमाल का आरोप लगा रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय में उनकी याचिका भी असफल रही। उन्होंने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाने की कोशिश की।”
जेटली ने कहा कि गोवा विधानसभा चुनाव में जनता ने किसी को बहुमत नहीं दिया है।
उन्होंने कहा, “यहां त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति है। त्रिशंकु विधानसभा होने पर चुनाव के बाद गठबंधन होना स्वाभाविक है। भाजपा गठबंधन बनाने में सफल रही और उसने 21 विधायकों के समर्थन का दावा राज्यपाल के सामने पेश किया।”
जेटली ने पूर्व राष्ट्रपति के. आर. नारायणन के उस वक्तव्य का भी उदाहरण दिया, जिसे उन्होंने 1988 में अटल बिहारी वाजपेयी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हुए दिया था।
जेटली ने नारायणन का हवाला देते हुए कहा, “जब किसी दल या चुनाव पूर्व गठबंधन दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता, तो भारत या कहीं भी राष्ट्र का सर्वोच्च अधिकारी सर्वाधिक सीटें जीतने वाले दल या गठबंधन दल को तय समयसीमा के अंदर सदन में बहुमत साबित कर सरकार बनाने का आमंत्रण देता है। लेकिन यह हर स्थिति में काम आने वाला फॉर्मूला नहीं है, क्योंकि कई बार ऐसा होता है जब अन्य दलों के विधायक मिलकर सबसे अधिक सीटें जीतने वाले दल से अधिक जनादेश हासिल कर लेते हैं।” –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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