चेन्नई, 23 जनवरी | तमिलनाडु के राज्यपाल सी. एच. विद्यासागर राव ने सोमवार को कहा कि जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए जारी किए गए अध्यादेश के स्थान पर विधानसभा में तत्काल एक विधेयक पेश किया जाएगा। राव ने विधानसभा को संबोधित करते हुए कहा, “जल्लीकट्टू के आयोजन के लिए एक स्थायी समाधान के तौर पर सदन में अध्यादेश के स्थान पर तत्काल एक विधयेक पेश किया जाएगा।”
जल्लीकट्टू के आयोजन पर सर्वोच्च न्यायलय के प्रतिबंध के खिलाफ 16 जनवरी से राज्य में छात्र और युवा बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
राव ने कहा, “जल्लीकट्टू तमिलनाडु की प्राचीन परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा है। यह ग्रामीण और कृषि संबंधी रीतियों से गहराई से जुड़ा है और तमिलनाडु के लोगों के लिए इसका विशेष धार्मिक महत्व है। जल्लीकट्टू (सांड़ों और बैलों की) देसी नस्लों के संरक्षण से भी जुड़ा है।”
राव ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध के लिए केंद्र की पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार (संप्रग) सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने संवैधानिक रास्ता अपनाते हुए पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम (पीसीए), 1960 के इससे संबंधित प्रावधानों में संशोधन करते हुए एक अध्यादेश जारी किया ताकि जल्लीकट्टू का आयोजन हो सके।
उन्होंने कहा, “मैं बेहद खुश हूं कि इसके परिणामस्वरूप तमिलनाडु में जल्लीकट्टू का आयोजन किया गया।” –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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