रांची, 5 दिसंबर| झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अर्जुन मुंडा ने सोमवार को दो भूमि कानूनों में संशोधन करने की पहल के कारण राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर अपनी ही पार्टी पर सवाल खड़ा किया। संवाददाताओं से बातचीत में मुंडा ने कहा, “छोटानागपुर काश्तकारी कानून (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी कानून (एसएनटी) में संशोधन को लेकर राज्य में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। यह अच्छा संकेत नहीं है। इसके दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे।”
उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठित नेता बिरसा मुंडा के लंबे संघर्ष के बाद ये दोनों कानून बनाए गए थे।
मुंडा ने कहा, “कानूनों में संशोधन करने से पहले चर्चा होनी चाहिए थी। संशोधनों की वैध संवैधानिक पहल के रूप में महत्वपूर्ण कदमों का ख्याल रखा जाना चाहिए था। इसके अलावा लोगों की भावनाओं पर विचार किया जाना चाहिए था।”
भूमि कानूनों में संशोधन के बाद कृषि भूमि का इस्तेमाल गैर कृषि उद्देश्य के लिए किया जा सकता है। सरकार आधारभूत संरचना, ऊर्जा संयंत्रों, सड़कें, नहरें, पंचायत भवनों और अन्य उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण कर सकती है।
जमशेदपुर में रविवार को संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुंडा ने कहा था, “कानून एवं व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा होनी चाहिए। राज्य में निवेश के लिए अच्छा माहौल बनाने की जरूरत है।”
भूमि कानूनों में संशोधन के लिए ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के अध्यक्ष सुदेश महतो ने भी रघुवर दास सरकार की आलोचना की। आजसू भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले सत्ताधारी गठबंधन का घटक है। –आईएएनएस
(फाइल फोटो)
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