रेशम (Silk) के क्षेत्र में झारखण्ड (Jharkhand) अपनी एक अलग पहचान रखता है। विशेषकर संथाल परगना (Santhal Parganas) पूरे राज्य में रेशम उत्पादन से लेकर रेशम के वस्त्र (Silk cloths) बनाने तक में अपनी पहचान है। पूरे राज्य में रेशम की सबसे अधिक खेती (Silk farming) दुमका जिले में होती है।
इस पहचान को बरकरार रखने की जरूरत है। विभाग बेहतर ढंग से कार्य योजना तैयार करें ताकि रेशम से जुड़े लोगों की आय में वृद्धि हो सके तथा स्वरोजगार के बेहतर अवसर प्रदान किए जा सके।
ये बातें दुमका में सोमवार,03 फरवरी 2020 को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कही। मुख्यमंत्री दुमका के इन्डोर स्टेडियम में उद्योग विभाग हस्तकरघा रेशम एवं हस्तशिल्प निदेशालय (Directorate of Handlooms, Silk and Handicrafts) द्वारा तसर उत्पादकों के प्रमंडल स्तरीय कार्यशाला सह सम्मान समारोह में बोल रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों के पास रोजगार होगा तभी उनका सर्वांगीण विकास हो सकेगा।
उन्होंने कहा कि आप सभी रेशम का धागा (silk thread) बनाने का कार्य करते हैं। रेशम (Silk) के धागे से कई तरह की वस्तुएँ बनाई जाती हैं। अपने कार्य को बेहतर ढंग से करें ताकि आप अधिक से अधिक आय अर्जित कर सकें। सरकार द्वारा जो भी तकनीकी सहयोग आपको दिया जा रहा है उसका भरपूर लाभ उठाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें तेजी से अपने उत्पादों को नए-नए तकनीक से जोड़ने की आवश्यकता है। पहले हाथों से रेशम के धागे (silk thread) को निकालने का कार्य किया जाता था। तकनीक के आ जाने से, जिस धागे को निकालने के लिए महीनों का वक्त लगता था, अब वह कुछ घंटों में ही हो जाता है, जिस कार्य में घंटों लगते थे वह मिनटों में ही संभव हो जाता है। यह सब तकनीक से संभव हुआ।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) ने कृषकों से कहा कि खादी (Khadi) हमारे देश की पहचान को दर्शाता है। खादी के परिधानों का तकनीक के माध्यम से निर्माण होने के कारण उसकी मांग बहुत अधिक है। अपने उत्पाद को बेहतर बनाएं ताकि उसकी मांग पूरे विश्व में हो।
सोरेन ने कहा कि रेशम उत्पादन (Sericulture) के क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों को जोड़कर स्वरोजगार उपलब्ध कराने की जरूरत है ताकि लोगों के जीवन स्तर में सुधार आये। इस क्षेत्र में आपकी रूचि को देखते हुए निश्चित रूप से सरकार तसर उत्पादन के क्षेत्र में कार्य करेगी ताकि इस इस क्षेत्र को सशक्त बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति की व्यवस्था से मजबूत व्यवस्था पूरी धरती पर नहीं है। हमें प्रकृति द्वारा की गई व्यवस्था को संरक्षित करने की जरूरत है। प्रकृति की व्यवस्था को बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता है, तभी हमें उसका लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि पूर्व में इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में काजू के वृक्ष (Cashew trees) पाए जाते थे। उपेक्षा के कारण आज ना के बराबर काजू के वृक्ष दिखाई देते हैं। हमने सारे जंगल उजाड़ दिए। आज वही काजू इतनी महंगी है कि हम खरीद नहीं सकते। पूर्व में काजू के उत्पादन की कोई व्यवस्था नहीं की गई।
तदुमका उपायुक्त श्रीमती राजेश्वरी बी ने कहा कि रेशम (Silk) से जुड़े उत्पादन के गुणवत्ता को बेहतर करने का कार्य किया जा रहा है ताकि कृषकों की आय में वृद्धि हो सके तथा उनके द्वारा निर्मित उत्पादों की मांग बढ़े।
ये हुए सम्मानित, पुस्तक का हुआ विमोचन…
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एवं निदेशक हस्तकरघा, रेशम एवं हस्तशिल्प निदेशालय उदय प्रताप ने सहायक उद्योग निदेशक रेशम संथाल परगना श्री सुधीर कुमार सिंह को रेशम उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा विभागीय कैलेंडर एवं पुस्तिका का विमोचन किया गया। उपायुक्त राजेश्वरी बी ने हस्त चित्रकला मुख्यमंत्री को भेंट किया। मुख्यमंत्री ने रेशम उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले कृषकों को मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर संथाल संथाल परगना के आयुक्त अरविन्द कुमार, उपायुक्त बी राजेश्वरी, पुलिस अधीक्षक वाईएस रमेश, हथकरघा के निदेशक और आईआईएम लखनऊ के डॉक्टर सी एम मिश्रा समेत कई पदाधिकारी मौजूद थे।
Follow @JansamacharNews