रांची, 24 नवंबर | झारखंड की विपक्षी पार्टियों ने बुधवार को राज्य विधानसभा में दो भूमि अधिनियमों में संशोधन कराने में भाजपा सरकार के सफल होने के बाद शुक्रवार को बंद का आह्वान किया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), झारखंड विकास मोर्चा-प्रजातांत्रिक (जेवीएम-पी), कांग्रेस, जनता दल युनाइटेड (जद-यू) और वाम दलों ने एक बैठक में यह फैसला लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आश्वासन के बावजूद कि भूमि अधिनियम आदिवासी और स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए बनाए गए हैं, रघुबर दास के नेतृत्व वाली झारखंड सरकार सदन में चर्चा के बिना ही संशोधन पारित करने में सफल रही।
भूमि और राजस्व मंत्री अमर बावरी ने बुधवार दोपहर को विपक्ष के हंगामे के बीच संशोधन विधेयक पेश किया।
संशोधन के खिलाफ विपक्ष की नारेबाजी के बीच छोटा नागपुर टेनेंसी (सीएनटी) अधिनियम और संथाल परगना टेनेंसी (एसपीटी) अधिनियम समेत आठ विधेयक पेश किए गए थे। आठों विधेयक चर्चा के बिना ही कुछ ही मिनटों में ध्वनिमत से पारित कर दिए गए।
संशोधन के बाद कृषि भूमि को गैर कृषि कार्यो के लिए प्रयोग किया जा सकेगा। राज्य सरकार भूमि को बुनियादी ढांचे, ऊर्जा क्षेत्र, सड़कों, नहरों, पंचायत भवनों और अन्य कार्यो के लिए अधिगृहित कर सकती है।
पूर्व मुख्यमंत्री और जेएमएम नेता हेमंत सोरेन ने संशोधन की आलोचना करते हुए कहा, “संशोधन आदिवासी और मूल निवासियों के लिए मौत की सूचना के समान है। लोग उन्हें (भाजपा को) सबक सिखाएंगे।”
पूर्व मुख्यमंत्री और जेवीएम-पी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा, “राज्य सरकार को आदिवासी और स्थानीय लोगों के कल्याण से कोई लेना देना नहीं है। उद्यमियों के लिए आदिवासियों की भूमि अधिगृहित करने के लिए यह संशोधन किए गए हैं।”
मुख्यमंत्री रघुबर दास का कहना है कि संशोधन के लाभ आने वाले सालों में नजर आएंगे। –आईएएनएस
Follow @JansamacharNews