न्यूयार्क, 30 मार्च| संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत निकी हेली ने दावा किया है कि उनकी मां को भारत में न्यायाधीश पद पर सिर्फ इसलिए नियुक्ति नहीं मिली थी, क्योंकि वह महिला थीं।
हालांकि एक तथ्य यह भी है कि भारत में 1937 से महिलाएं न्यायाधीश के पदों पर रही हैं।
विदेश संबंधों की परिषद की बुधवार को हुई बैठक में महिलाओं की भूमिका से जुड़े एक सवाल पर हेली ने कहा, “भारत में जब शिक्षा का स्तर अधिक नहीं था उस समय मेरी मां ने कानून की शिक्षा हासिल की। वास्तव में उन्हें भारत की प्रथम महिला न्यायाधीश होना चाहिए था। लेकिन भारत में महिलाओं को लेकर जो हालात हैं, उन्हें न्यायाधीश नहीं बनने दिया गया।”
हेली ने कहा, “लेकिन अब वह अपनी बेटी को दक्षिण कैरोलीना की गर्वनर और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी दूत के रूप में देखकर चकित होती हैं।”
हेली के माता-पिता राज कौर रंधावा और अजित सिंह कथित तौर पर 1960 के दशक में भारत छोड़कर यहां चले आए।
लेकिन जहां तक भारत में महिलाओं के न्यायाधीश बनने की बात है, तो आजादी से पूर्व एना चांडी नाम की एक महिला त्रावणकोर में न्यायाधीश पद पर आसीन हुई थीं।
चांडी को आजादी के बाद 1948 में पदोन्नत कर जिला न्यायाधीश बना दिया गया और 1959 में वह उच्च न्यायालय की न्यायाधीश बनीं। हेली के मात-पिता जब भारत छोड़कर आए, उससे कहीं पहले चांडी एक पूर्ण न्यायाधीश के रूप में सेवाएं दे रही थीं।
संयुक्त राष्ट्र के दूत की अमेरिका में केंद्रीय मंत्रिमंडल स्तर की हैसियत होती है और हेली यहां तक पहुंचने वाली भारतीय मूल की पहली अमेरिकी नागरिक हैं। रिपब्लिकन पार्टी की सदस्य हेली 2010 में दक्षिण कैरोलीना की गर्वनर चुनी गईं।
हेली ने कहा कि वह ऐसे भारतीय अप्रवासी परिवार की सदस्य होकर ‘गर्व’ महसूस करती हैं, जिनका मानना है कि उन्हें अमेरिकी होने का ‘गौरव’ हासिल हुआ।
कुछ मुस्लिम देशों के नागरिकों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिका की यात्रा पर लगाए गए प्रतिबंध से जुड़े सवाल के जवाब में हेली ने कहा, “मेरा मानना है कि अमेरिका का ताना-बाना वैध प्रवासियों से बुना हुआ है। यही अमेरिका को इतना शानदार बनाता है।”
हेली के पिता कृषि वैज्ञानिक और प्राध्यापक हैं, जबकि उनकी मां एक कारोबारी हैं।
हेली ने हालांकि इस बात से इनकार किया कि ट्रंप द्वारा छह देशों के नागरिकों पर अमेरिका में प्रवेश से लगाया गया प्रतिबंध धर्म के आधार पर है। उन्होंने कहा कि इन छह देशों के अलावा दूसरे कई मुस्लिम देशों पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
हेली ने कहा, “मुझे नहीं लगता है कि यह इसलिए है। अगर ऐसा होता तो प्रतिबंधित देशों की सूची में अन्य दर्जनों मुस्लिम देशों का भी नाम होता है।”
उन्होंने कहा कि किसी भी तरह का प्रतिबंध धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए। –आईएएनएस
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