नई दिल्ली, 4 मई (जनसमा)| विज्ञान भवन में आयोजित 64वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को विभिन्न वर्गों में वर्ष 2016 के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए।
प्रणब मुखर्जी ने इस वर्ष का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार विख्यात फिल्म निर्देशक एवं अभिनेता कसीनाधुनी विश्वनाथ को भारतीय सिनेमा के विकास में उनके असाधारण योगदान के लिए प्रदान किया। शास्त्रीय एवं परम्परागत कला, संगीत एवं नृत्य के प्रस्तोता के. विश्वनाथ भारतीय फिल्म उद्योग में एक प्रेरक व्यक्तित्व रहे हैं।
सोनमकपूर को नीरजा फिल्म में उनकी भूमिका के लिए फीचर फिल्म वर्ग में स्पेशल मेंशन पुरस्कार प्रदान किया गया। फीचर फिल्म श्रेणी की अनुसूची में निर्दिष्ट 8 विशेष भाषाओं के अलावा अन्य भाषाओं में बनीं फिल्मों को भी पुरस्कार प्रदान किये गये। सर्वश्रेष्ठ मोरन फिल्म के लिए हांडूक और सर्वश्रेष्ठ तुलू फिल्म के लिए मादीपू को पुरस्कार प्रदान किये गये।
सर्वश्रेष्ठ फिल्म समीक्षक का पुरस्कार डी. धनंजय को फिल्म शैलियों, ब्रांड, फिल्म देखने की नई रणनीति, कराधान प्रभाव और टिकट की कीमतों जैसे कई विषयों पर गहन विश्लेषण के लिए प्रदान किया गया। स्पेशल मेंशन पुरस्कार किताब ‘ए फ्लाइ इन द करी’ के लिए पी. जयशंकर और अंजलि मोंतिरो को प्रदान किया गया। सिनेमा पर सर्वश्रेष्ठ किताब पुरस्कार यतेन्द्र मिश्रा द्वारा लिखित ‘लता-सुर गाथा’ को दिया गया।
फीचर फिल्म वर्ग में विशेष ज्यूरी पुरस्कार बेहतर अभिनय और निपुणता से पात्रों के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करने के लिए मोहनलाल को प्रदान किया गया। गैर फीचर फिल्म वर्ग में स्पेशनल ज्यूरी पुरस्कार ‘द सिनेमा ट्रेवलर्स’ को प्रदान किया गया। इस वर्ष राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के गैर फीचर फिल्म वर्ग में नई श्रेणी ‘बेस्ट ऑन लोकेशन साउंड रिकॉर्डिस्ट’ भी शुरू की गई है। उत्तर प्रदेश को असाधारण फिल्म नीति कार्यान्वित करने के लिए सबसे अधिक फिल्म अनुकूल राज्य का पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस वर्ष के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार की विभिन्न श्रेणियों में प्रमुख पुरस्कार पाने वाली फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म वर्ग में कसाव और गैर- फीचर फिल्म वर्ग में फायर फ्लाइज इन द एबीज़ शामिल हैं।
इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू तथा सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि 64वां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भारत के एक सूक्ष्म दर्शन का प्रतिनिधित्व करता है, जो भाषा, रीति रिवाज, धर्म एवं संस्कृति की विविधता का जश्न मनाता है। भारतीय सिनेमा और इसकी विविधिता, भाईचारे, सहिष्णुता, स्वीकृति एवं सह अस्तित्व की अंतर्निहित भावना को प्रदर्शित करती है।
राष्ट्रपति ने फिल्म संवर्धन निधि की सरकार की पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल प्रतिभाशाली स्वतंत्र फिल्मकारों को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों को उनके कार्य को बढ़ावा देने मेंप्रोत्साहित करेगी।
फिल्म उद्योग की सराहना करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि इस उद्योग ने उत्कृष्टता प्रदान करने और सामाजिक मूल्यों को बढ़ावा देने का मन बना लिया है। हमारे समाज पर सिनेमा के सशक्त प्रभाव और उसके मूल्यों के कारण फिल्म जगत को मिशन मोदी (विकसित भारत का निर्माण) में सहायता प्रदान के लिए एकजुट होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुरस्कार प्राप्त करने वाली फिल्में भेदभाव, प्रेम, ऐतिहासिक संबंधों औरप्रासंगिक सामाजिक चुनौतियों जैसे विभिन्न मुद्दों और विषयों पर केन्द्रित थीं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से मानक निर्धारित करने और उच्च उपलब्धि हासिल करने वाले भारतीय फिल्म निर्माताओं तथा कलाकारों के प्रयासों को मान्यता देने की हमारी क्षमता प्रदर्शित होती है।
नायडू ने सर्वश्रेष्ठ भारतीय सिनेमा को एक छत के नीचे लाने के लिए ज्यूरी अध्यक्ष और उनकी टीम के सदस्यों को भी बधाई दी। फीचर फिल्म सेन्ट्रल पैनल के अध्यक्ष लोकप्रिय फिल्म निर्माता प्रियदर्शन थे।वे अपनी मलयालम फिल्म कांचीवरम के लिए जाने जाते हैं। गैर फीचर फिल्म ज्यूरी के अध्यक्ष राजू मिश्रा थे, जबकि लेखन ज्यूरी की अध्यक्ष सुश्री भावना सोमाया थीं। सबसे अधिक फिल्म अनुकूल राज्य पुरस्कार ज्यूरीके अध्यक्ष तेलुगू फिल्म उद्योग के लोकप्रिय निर्देशक राधा कृष्ण जागरलामुडी थे।
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