छत्तीसगढ़ में तुलसी बाराडेरा में रविवार 23 फरवरी से आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय कृषि मेला में पशुधन विकास से संबंधित विभिन्न उत्पादों के साथ-साथ कड़कनाथ मुर्गा (Kadaknath Murga ) भी आकर्षण का केन्द्र होगा।
कड़कनाथ या काली मासी भारतीय नस्ल का मुर्गा है। कड़कनाथ अपने स्वाद और औषधीय गुणों के लिए मशहूर है। इस मुर्गे की कीमत 6 सौ रुपये किलोग्राम है।
पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि मेले में स्वादिष्ट और औषधीय गुणों से भरपूर कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Murga ) की विशेष माँगग होगी।
कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Murga ) के बारे में बताया गया है कि इसका शरीर काले रंग का होता है। अन्य मुर्गों की तुलना में इसके मीट में प्रोटीन अधिक मात्रा में होता है और कोलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है।
कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Murga ) में 18 तरह के आवश्यक अमीनो एसिड भी पाए जाते हैं। इसके मीट में विटामिन बी-1, बी-2, बी-6, बी-12, सी और ई की मात्रा भी अधिक पाई जाती है। यह औषधि के रुप में नर्वस डिसऑर्डर को ठीक करने के काम में भी आता है। इसके रक्त से कई बीमारियां ठीक हो जाती हैं।
कड़कनाथ मुर्गा (Kadaknath Murga ) के पालक छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश में भी अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं।
यह मुख्यतः पश्चिमी मध्य प्रदेश के झाबुआ और धार जिलों में पाया जाता है। कड़कनाथ मुर्गे (Kadaknath Murga ) में उच्च प्रोटीन और न्यून वसा पाया जाता है, जिसके कारण इसका मांग काफी ज्यादा है।
कड़कनाथ मुर्गी का मांस कम चरबी युक्त होता है। देसी मुर्गी होने के कारण ये पाचन के लिए बॉयलर मुर्गी के चिकन से हल्का होने के कारण कड़कनाथ मुर्गा का चिकन महंगा मिलता है।
कड़कनाथ मुर्गे से अमर पटेल हर महीने कमा रहे हैं 80 हजार रूपये
कड़कनाथ प्रजाति से प्रभावित होकर रायगढ़ जिले के पुसौर विकासखण्ड के ग्राम कोसमंदा निवासी अमर पटेल ने वर्ष 2017-18 से कड़कनाथ मुर्गा (Kadaknath Murga ) पालन की ईकाई स्थापित की।
उन्होंने पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में 200 कड़कनाथ चुजों से मुर्गा पालन चालू किया। धीरे-धीरे उन्हीं मुर्गियों द्वारा दिये अंडों को ’स्वयं के द्वारा’ निर्मित हेचरिंग मशीन जिसमें आटोथरमोकर लगाकर 100 वाट के बल्बों से गर्मी पैदा कर तथा हेचींग मशीन मे ह्यूमिडिटी मेंटेन करने हेतु व्यवसाय बनाकर दिन में तीन बार अंडो को मैन्यूवली 45 डिग्री में टर्न कर हेचींग कार्य किया जा रहा है।
पटेल इस समय 600 मुर्गियाँ एवं चूजों का पालन कर एवं चूजा उत्पादन कर चूजों को रानीखेत का टीकाकरण कर प्रति चूजे 100 रूपये की दर से विक्रय कर अतिरिक्त आय का साधन बना लिया है एवं मुर्गों को 600 रूपये किलोग्राम के दर से बेच रहे हैं और हर महीने लगभग अस्सी हजार रूपये की कमाई कर रहे हैं।
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