हैदराबाद, 25 फरवरी | अमेरिका के कंसास रज्य में भारतीय इंजीनियर श्रीनिवास कुचिभोटला की ‘घृणा अपराध’ में हुई हत्या ‘दुनिया के सर्वाधिक आप्रवासियों वाले देश’ में रह रहे भारतीय समुदाय के समक्ष कई सवाल खड़े करता है। यह उनके लिए एक बड़ा झटका है। यह घटना हमें हाल के समय में उन त्रासदियों पर भी ध्यान केंद्रित करने पर मजबूर करती है, जिसके शिकार अमेरिका में रहने वाले तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के आप्रवासी हुए हैं।
हैदराबाद के कुचिभोटला और तेलंगाना में वारंगल जिले के उनके सहकर्मी आलोक मदासानी को कंसास के ओलेथ में एक पूर्व नौसैनिक एडम पुरिंटन ने कथित तौर पर ‘मध्य-पूर्व के नागरिक’ समझकर यह कहते हुए गोली मार दी कि ‘मेरे देश से निकल जाओ।’ इस घटना में कुचिभोटला की जहां मौत हो गई, वहीं आलोक घायल हो गए। यह अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद से संभव: इस प्रकार की पहली घटना है, जो अपनी आव्रजन विरोधी नीतियों और इस संबंध में अपने कार्यकारी आदेशों को लेकर सुर्खियों में हैं।
दोनों इंजीनियर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी (एमएनसी) गारमिन में एविएशन प्रोग्राम मैनेजर के तौर पर कार्यरत थे।
कुचिभोटला (32) अमेरिका में इस माह गोलीबारी में जान गंवाने वाले तेलंगाना के दूसरे शख्स हैं।
इससे पहले 10 फरवरी को कैलिफोर्निया के मिलपितास में साफ्टवेयर इंजीनियर वाम्सी रेड्डी मामिडाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
वारंगल जिले के 27 वर्षीय युवक को हमलावरों ने उस वक्त गोली मार दी थी जब वे एक महिला से लूटपाट कर भाग रहे थे।
ये छिटपुट घटनाएं नहीं है। साल 2008 से लेकर अब तक दोनों तेलुगू भाषी राज्यों के 30 से अधिक इंजीनियर और छात्र विभिन्न घटनाओं या अपराधों में जान गंवा चुके हैं।
ये ‘विपदाएं’ अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय के सबसे बड़े समूह के युवा सपनों को चकनाचूर कर रही हैं।
पिछले साल दिसंबर में आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा की 23 वर्षीया छात्रा चंदुड़ी साई तेजस्वी फ्रेमोंट्स नाइल्स जिले में सड़क पार करने के दौरान एक तेज रफ्तार गाड़ी की चपेट में आकर दम तोड़ गई थीं।
इससे पहले जुलाई में हैदराबाद के संकीर्थ (25) की उसके ही साथ रहने वाले शख्स ने टेक्सास के ऑस्टिन में हत्या कर दी थी। हत्यारा स्वयं भी भारतीय शख्स ही था।
अरिजोना में टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) में काम करने वाले हैदराबाद के नंबूरी श्रीदत्ता (25) की जून 2016 में एक वाटरफॉल में डूबकर मौत हो गई थी, जब वह अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने गए थे।
पिछले साल की शुरुआत में हैदराबाद के छात्र शिव करण (23) ने कथित तौर पर तनाव में खुदकुशी कर ली। वह रैलीघ में नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी से मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहा था।
हैदराबाद के साई किरण (23) की जून 2015 में लुटेरों ने फ्लोरिडा में मोबाइल फोन नहीं देने पर गोली मार कर हत्या कर दी थी। साई अटलांटिक यूनिवर्सिटी से एमएस कर रहा था और वह डेढ़ महीने पहले ही वहां गया था।
इसी तरह की एक अन्य घटना में साल 2014 में टेक्सास के पासाडेना स्थित एक कन्वीन्यन्स स्टोर में लूटपाट के दौरान एलाप्रोलु जयचंद्र (22) की गोली मार कर हत्या कर दी थी, जहां वह कार्यरत थे।
अमेरिका में 2008 से 2009 के बीच हुई हत्याओं के लिए कुछ लोगों ने देश में आर्थिक सुस्ती व नौकरियों की कमी को जिम्मेदार ठहराया है।
अमेरिका में अच्छा-खासा समय बिता चुके भारतीय अमेरिकियों का कहना है कि देश में रह रहे विभिन्न देशों के आप्रवासियों में भारतीय सबसे बेहतर कर रहे हैं और भारतीयों में तेलुगू भाषी राज्यों के लोगों का प्रदर्शन विभिन्न क्षेत्रों में शानदार रहा है।
अनुमानत: छह लाख से अधिक तेलुगू भाषी लोग अमेरिका में रह रहे हैं। बहुत से युवा एडवांस डिग्री ले रहे हैं और पढ़ाई पूरी कर सॉफ्टवेयर पेशेवर, इंजीनियर, चिकित्सक व व्यावसायिक प्रबंधकों के तौर पर सफल हो रहे हैं।
इस तरह की सोच भी है कि युवा अपनी सुरक्षा को लेकर एहतियातों का पालन नहीं करते और इसलिए अपराधों का शिकार बनते हैं। तेलुगू एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमेरिका (ताना) ने जहां सुरक्षा निर्देशों का मसौदा तय किया है, वहीं ऐसी मांगें भी उठती रही हैं कि भारतीय प्रशासन को अपने नागरिकों, खासकर छात्रों को इस बारे में विस्तृत जानकारी देनी चाहिए कि वे क्या करें और क्या न करें।
छात्रों पर हमले का खतरा इसलिए भी अधिक होता है, क्योंकि वे उन इलाकों में अंशकालिक नौकरियों के लिए हामी भरते हैं, जहां अपराध की दर बहुत अधिक होती है। इसकी वजह यह होती है कि इन इलाकों में उन्हें अपेक्षाकृत अधिक आकर्षक वेतन की पेशकश की जाती है।
भारत में अमेरिकी दूतावास ने जहां 2015 में 60,000 छात्र वीजा जारी किए थे, वहीं हैदराबाद स्थित अमेरिकी वाणिज्यदूतावास ने सर्वाधिक संख्या में छात्र वीजा जारी किए थे।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, हैदराबाद स्थित वाणिज्यदूतावास ने दुनियाभर में पांचवीं सबसे बड़ी संख्या में छात्रा वीजा जारी किए थे।
–मोहम्मद शफीक
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