नई दिल्ली, 10 अप्रैल (जनसमा)। कश्मीर में हालात नाजुक मोड़ पर हैं। रविवार को श्रीनगर उपचुनाव के दौरान जिस प्रकार की हिंसा हुई और देश विरोधी व उपद्रवी तत्त्वों ने मिलकर मतदान के दौरान जो हिंसा फैलाई उसने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
ताजा जानकारी के अनुसार केन्द्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कश्मीर में जो लोग प्रदर्शन कर हिंसा फैला रहे हैं और तोड़फोड़ कर रहे हैं वे आम प्रदर्शनकारी नहीं हैं। इन पर आसानी से काबू नहीं पाया जा सकता।
बताया जाता है कि केन्द्र सरकार ने यह भी कहा है कि उपद्रवियों को रोकने के लिए आखिरी विकल्प के तौर पर पैलेट गन का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन सरकार दूसरे विकल्प पर भी विचार कर रही है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी को भी मारना सुरक्षाबलों का मकसद नहीं है।
दूसरी ओर सोमवार को जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में लोकसभा उपचुनाव से ठीक दो दिन पहले सुरक्षाकर्मियों पर प्रदर्शनकारियों के समूहों ने केवल पथराव किया बल्कि मस्जिदों में लगे हुए लाउडस्पीकरों से इस्लाम की प्रशंसा में नारे भी लगाए।
दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां तथा कुलगाम जिलों में आज भी जनजीवन अस्त-व्यस्त है। पीडीपी के उम्मीदवार तसद्दुक मुफ्ती ने हालात सामान्य होने तक चुनाव स्थगित करने की मांग की है।
वहीं दूसरे राजनीतिक दलों जिनमें नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस शामिल हैं, ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह चुनाव के दौरान उचित माहौल नहीं बनाए रख सकी।
जानकार सूत्रों के अनुसार प्रदर्शनकारी पाकिस्तान के पक्ष में नारे लगा रहे थे और कईयों के पास आईएसआईएस के झंडे भी थे।
प्रदर्शनकारियों ने उन स्कूलों को भी जला दिया है और नुकसान पहुंचाया है जहां मतदान केन्द्र बनाए गए हैं। प्रर्दशनकारी इस तरह से आतंक फैला रहे हैं जिससे लोग अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकें।
सुरक्षाबलों ने सोमवार को कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा से भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे चार आतंकवादियों को मार गिराया है।
(फाइल फोटो)
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