मानवतावाद और सहिष्णुता के मूल्यों पर आधारित संयोजित संस्कृति को ही सामूहिक रूप से ‘कश्मीरियत’ (Kashmiriyat) के रूप में जाना जाता है।
जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) से दिल्ली और आगरा घूमने आई छात्राओं के एक समूह के साथ उपराष्ट्रपति (Vice President) सोमवार 23 दिसंबर,2019 को नई दिल्ली में स्थित उपराष्ट्रपति निवास में बातचीत कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति ने इस भ्रमण को सुविधाजनक बनाने के लिए भारतीय सेना की सराहना की और कहा कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण संबंध चाहता है, जिनमें पाकिस्तान (Pakistan) भी शामिल है।
नायडू ने कश्मीर की सांस्कृतिक (Cultural of Kashmir) समृद्धता और विविधता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानवतावाद और सहिष्णुता के मूल्यों पर आधारित संयोजित संस्कृति को ही सामूहिक रूप से ‘कश्मीरियत’ (Kashmiriyat) के रूप में जाना जाता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘इस प्रदेश की संरचना में किए गए हालिया बदलावों का उद्देश्य यहां के लोगों को वे सभी लाभ प्रदान करना है, जो अन्य भारतीयों को निरंतर प्राप्त होते रहे हैं।’
जाति, वर्ग एवं महिला-पुरुष के आधार पर भेदभाव किये जाने की बढ़ती घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति ने सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने हेतु अथक प्रयास किये जाने का आह्वान किया।
कश्मीर की साक्षरता (Kashmir Literacy) संबंधी उत्कृष्टता की लंबी परम्परा पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत की विभिन्न भाषाओं को अवश्य ही संरक्षित एवं प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा (Mother toungue) में पारंगत होने की सलाह देते हुए उपराष्ट्रपति ने मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
Follow @JansamacharNews