12 नवंबर 2015 को दिल्ली सरकार ने भेजा था प्रस्ताव
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि 1797 कच्ची कालोनियों(Unauthorized Colonies) को नियमित करने का केंद्रीय कैबिनेट का निर्णय स्वागत योग्य है।
दिल्ली सरकार बनते ही प्रारंभ हो गया था विकास कार्य
सीएम ने कहा कि पहले कच्ची कालोनी में लोगों का जीना दुभर था। हमने सरकार बनते ही 6 हजार करोड़ खर्च कर पानी, नाली, सीवर व बिजली की व्यवस्था कर दी। कच्ची कालोनियों में स्ट्रीट लाइट पर भी नियम बना दिया गया है। अब सभी स्ट्रीट लाईट के रखरखाव की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार करेगी।
जीएसडीएल के आधार पर नक्शे हो पास
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा अब भी मानना है कि नक्शे को जीएसडीएल के आधार पर बने नक्शा के आधार पर रजिस्ट्री प्रारंभ हो जाए। डीडीए को नक्शा बनाने में समय लगेगा। मेरा मानना है कि सेटलाइट के आधार पर नक्शा पास कर रजिस्ट्री कराई जाए। जिससे चुनाव से पहले लोगों के हाथ में रजिस्ट्री हो।
उन्होंने कहा मसौदा आते ही रजिस्ट्री के रेट तय हो जाएंगे लेकिन वह बेहद मामूली होगा।
सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने जिस दिन अपनी प्रक्रिया पूरी कर लेगी, उसके अगले दिन ही रजिस्ट्री का रेट तय कर दिया जाएगा। रजिस्ट्री का रेट बहुत मामूली होगा। जिसका मसौदा आते ही रेट तय हो जाएगा।
मुख्यमंत्री की ओर से केंद्र सरकार को कच्ची कालोनी पर भेजे गए 12 सुझाव :
1) केंद्र सरकार द्वारा 50% बिल्डअप एरिया वाली शर्त जो कि 1 जनवरी 2015 तक रखी गई है, उसे बढ़ाकर 31 मार्च 2019 तक कर दिया जाए।
2) 30 जून 2019 तक जितने लोगों ने अपनी जीपीए करा ली है, उन सभी जीपीए को वैध माना जाए और उसी के आधार पर मालिकाना हक दिया जाए।
3) 1 जुलाई 2019 तक जितनी कच्ची कॉलोनियां दिल्ली में बन चुकी हैं, उनकी एक सूची बनाकर दूसरे चरण में उन सभी को पक्का घोषित किया जाए।
4)भविष्य में दिल्ली में कोई नई कच्ची कॉलोनी बनती है तो संबंधित एसडीएम, एसएचओ एवं एमसीडी अधिकारी को बर्खास्त किया जाए।
5) तीन कॉलोनियों सैनिक फार्म, महेंद्रू एनक्लेव तथा अनंत राम डेरी केंद्र सरकार ने पक्का करने के दायरे से बाहर रखी हैं, यह आर्टिकल 14 का उल्लंघन है। इन तीनों कॉलोनियों को भी अन्य कॉलोनियों के साथ रेगुलराइज किया जाए।
7) डीडीए के नक्शे बनाने का इंतजार करने की बजाय, विभिन्न आरडब्ल्यू और दिल्ली सरकार के जीएसडीएल विभाग द्वारा सेटेलाइट के जरिये बनाए गए मौजूदा नक्शों के आधार पर तुरंत रजिस्ट्रियां खोल दी जाएं।8) यमुना बांध के अंदर जो कॉलोनियां आ रही हैं उन्हें रेगुलराइज ना किया जाए। यमुना बांध के बाहर वाली कॉलोनियों को रेगुलराइज कर दिया जाए।
9) इन कच्ची कॉलोनियों में जो सरकारी जमीनें हैं वह दिल्ली सरकार को द्वितीय कैटेगरी के मूल्य पर स्कूल, अस्पताल एवं अन्य सुविधा की चीजें बनाने के लिए हस्तांतरित कर दी जाएं।
10) कच्ची कॉलोनियों को नजदीकी कालोनियों में जो सबसे निम्न स्तर की कैटेगरी की कॉलोनी है उससे भी नीचे माना जाए।
11) जिन कालोनियों में फॉरेस्ट का पैच, एएसआई का पैच है, उसको छोड़कर बाकी कॉलोनी को रेगुलराइज़ कर दिया जाए।
12) इन कच्ची कॉलोनियों में लोगों ने दुकानें भी खोल रखी हैं, इन कालोनियों की जमीन को “मिक्स यूज़ लैंड” घोषित किया जाए।