जयपुर, 19 मई (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान एवं राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की स्वच्छ, स्वस्थ एवं विकसित राजस्थान की मंशा के अनुरूप प्रदेश भर में स्वच्छ भारत मिशन की बहुद्देशीय गतिविधियों और बहुआयामी कार्यक्रमों की धूम परवार पर है। इससे प्रदेश में स्वच्छता की अलख जगी है और व्यापक लोक जागरण हुआ है। इसी का परिणाम है कि राजस्थान का कोना-कोना स्वच्छता का पैगाम गुंजाने लगा है।
स्वच्छ भारत मिशन की संकल्पनाओं और गतिविधियों को मूर्त रूप प्रदान करने में राजसमन्द जिला भी पीछे नहीं है। जिले में दूरदराज के पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर मजरों, भागलों, गाँव-कस्बों से लेकर शहरों तक इन दिनों स्वच्छता विषयक गतिविधियां युद्ध स्तर पर चल रही हैं।
राजसमन्द पंचायत समिति अन्तर्गत केलवा ग्राम पंचायत मुख्यालय पर सार्वजनिक उपयोग के लिए 10 लाख रुपए की लागत से सामुदायिक सुलभ शौचालय का निर्माण किया गया है। इसके लिए राशि सांसद हरिओमसिंह राठौड़ द्वारा सांसद क्षेत्रीय विकास कोष से प्रदान की गई है। केलवा ग्राम पंचायत ने जिस खूबसूरती और लगन के साथ इस सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया है वह अपने आप में स्वच्छता और विकास की मिलीजुली अनुकरणीय एवं प्रेरक मिसाल पेश करता है।
इस शौचालय का लाभ क्षेत्र भर के लगभग 200 से अधिक परिवारों को मिलेगा। इस सामुदायिक शौचालय में 16 टॉयलेट्स हैं, जिनमें 4 कमोड़ हैं जो कि दो-दो महिला एवं पुरुषों के उपयोग के लिए बनाए गए हैं। इनके अलावा इसमें 5-5 स्नानघर शामिल हैं।
स्वच्छता बरकरार रखने की दृष्टि से शौचालय की छत पर 20 हजार लीटर जल संग्रहण क्षमता वाली पानी की टंकी का भी निर्माण किया गया है। नल कनेक्शन के साथ ट्यूबवेल तथा 10 हजार लीटर क्षमता का पानी का टैंक भी अलग से बनाया गया है। रोशनी आदि की समुचित व्यवस्था का भी ध्यान रखा गया है। इस सामुदायिक शौचालय को बाउण्ड्रीवाल को फाटकों से सुरक्षित किया गया है।
लोग न केवल अपने घरों में शौचालय बनाकर व इनका उपयोग करने तक ही सीमित हैं बल्कि अपने स्वयं की, घरेलू तथा सामुदायिक एवं परिवेशीय स्वच्छता के प्रति भी जागरुक हुए हैं और स्वेच्छा से स्वच्छता को अंगीकार करते जा रहे हैं।
बहुत जल्द ही अपनी तरह के इस अनूठे सामुदायिक शौचालय का शुभारंभ किया जाएगा। इसके प्रारम्भ होते ही यह सुलभ शौचालय यहाँ के वाशिन्दों के लिए दैनिक उपयोग का बहुत बड़े सुविधालय के रूप में अपनी भूमिका सिद्ध करेगा और दूसरे क्षेत्रों को भी इसी प्रकार की ग्राम्य उपयोग वाली संरचनाओं के निर्माण की सीख भी देगा।
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