खय्याम को पसंद आया मेरा काम : तलत अजीज

मखमली आवाज के गजल गायक तलत अजीज ने तीन दशकों से अपनी गायकी का जादू बिखेरने के बाद अब एक नई पारी शुरू की है। वह गायक से संगीतकार बन चुके हैं। उन्होंने आगामी फिल्म ‘मजाज : ऐ गम-ए-दिल क्या करूं’ में संगीत दिया है।

आईएएनएस ने तलत अजीज से उनके इस नए सफर, करियर के इतने वर्षो में संगीत क्षेत्र में बदलाव और गजलों के भविष्य से जुड़े कई मुद्दों पर बात की।

लोग आज भी उनकी गजलों के कायल हैं, लेकिन वर्ष 1991 में फिल्म डैडी में उनकी गजल ‘वफा जो तुमसे कभी मैंने निभाई होती..’ की बात ही कुछ और है।

तलत ने ‘डैडी’, ‘शरारत’, ‘उमराव जान’ जैसी फिल्मों में गाना गाया है। उनकी पहली गजल 1980 में रिलीज हुई थी लेकिन तब से लेकर आज तक करियर के इतने वर्षो में वह कई मोड़ देख चुके हैं।

वह कहते हैं, “मुझे फिल्म जगत में 36 वर्ष हो गए हैं। काफी लोग आए और गए। यहां सिर्फ प्रतिभा की कद्र होती है। अच्छे गाने पहले भी बन रहे थे और आज भी बन रहे हैं।”

वह इस विधा से जुड़ने के बारे में कहते हैं, “यह सोच-समझकर उठाया गया कदम है। फिल्म के निर्देशक शकील अख्तर ने मुझे 2013 में इसके लिए अप्रोच किया था। उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें यकीन है कि मैं यह कर सकता हूं और देखिए यह हो गया।”

यह फिल्म उर्दू के शायर ‘असरार उल हक मजाज लखनवी’ के जीवन पर आधारित है। मजाज लखनवी रूमानी और क्रांतिकारी शायर थे।

इस फिल्म के बारे में अजीज कहते हैं, “फिल्म में कुल 12 गीत हैं, जिनमें आठ गजलियां और नज्में हैं। मेरे अलावा सोनू निगम, अलका याज्ञनिक ने भी इन गजलों को अपनी आवाज दी है।”

एक जमाने में फिल्मों में गजलों की तूती बोलती थी, लेकिन अब धीरे-धीरे इस विधा की ओर लोगों का रुझान कम हुआ है, लेकिन तलत ऐसा नहीं सोचते। वह कहते हैं, “ऐसा नहीं है कि गजलों की ओर लोगों का रुझान कम हुआ है। आज भी अच्छी गजलें बन रही हैं। ‘सरबजीत’ फिल्म में एक बहुत ही अच्छी गजल है। उसे सुनकर देखिए। ‘बाजीराव मस्तानी’ में भी एक खूबसूरत गजल है।”

वह आगे कहते हैं, “गजलों का दौर कभी खत्म नहीं हो सकता, क्योंकि गजलों में एक खिंचाव होता है जो आपको बांधे रखता है।”

तलत अजीज संगीत क्षेत्र में भेदभाव के खिलाफ हैं। वह कहते हैं, “अमूमन, पाकिस्तान के गायकों का हिंदुस्तान आकर गायकी करने पर बहुत विवाद होता है। इसे तूल नहीं दिया जाना चाहिए। मेरा मानना है कि प्रतिभा की कद्र की जानी चाहिए। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन किस देश से है।”

तलत अपनी इस नई पारी की एक खूबसूरत बात साझा करते हुए कहते हैं, “जब मैंने फिल्म के लिए संगीत दिया तो मैंने इसे सबसे पहले खय्याम जी को सुनाया। मैं सीधे उनके पास गया और बोला कि गुरुजी मैंने इस बार कुछ अलग किया है इसे सुनिए।”

यह पूछने पर कि खय्याम जी को उनका काम कैसा लगा, “उन्हें बहुत पसंद आया जो मेरे लिए गर्व की बात है।”

संगीत क्षेत्र को पायरेसी से हो रहे नुकसान हो लेकर तलत का नजरिया जरा अलग है। उन्होंने बताया, “पायरेसी कभी बंद नहीं हो सकती। तकनीक काफी आगे बढ़ चुकी है। लोग नए-नए तरीके ईजाद कर लेते हैं।”

तलत अजीज ने गायकी के अलावा अभिनय क्षेत्र में भी हाथ आजमाया है। वह मौका मिलने पर आगे भी अभिनय कर सकते हैं। लेकिन तलत, उनके मखमली स्वर और रूहों में उतरने वाले उनके गजलों को चाहने वाले तो यही कहेंगे ‘आपका साथ साथ फूलों का..।’--रीतू तोमर