influenza एच1एन1 (H1N1) मौसमी इन्फ्लुएंजा एक प्रकार का स्वंय–सीमित वायरल रोग है I
influenza के लक्षणों को पहचानिए:
बुख़ार एंव खाँसी, गला ख़राब, नाक बहना या बंद होना, सांस लेने में तकलीफ़ एवं अन्य लक्षण जैसे बदन दर्द, सिर दर्द, थकान,ठिठुरन, दस्त, उल्टी, बलगम में खून आना इत्यादि भी हो सकते हैं I
माइल्ड स्वाइन फ़्लू के लक्षण ( केटेगरी-A)
· बुखार, खांसी, सर्दी, शरीर में दर्द होना व थकान महसूस होना माइल्ड स्वाइन फ़्लू के लक्षण हैं।
· माइल्ड स्वाइन फ़्लू का इलाज लक्षणों पर आधारित होता हैi ऐसे लक्षणों में टेमीफ्लू दवा लेने की या जांच की जरूरत नही होती ।
मॉडरेट स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-B)
इस श्रेणी के मरीजों में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के अतिरिक्त तेज बुखार और गले में तेज दर्द होता है या मरीज में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के साथ,निम्नलिखित हाई रिस्क कंडीशन है तो रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमिफ्लू दी जाती है
· छोटे बच्चे
· गर्भवती महिलायें
· 65 साल या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति
· फेफड़े कि बीमारी,दिल कि बीमारी, गुर्दे कि बीमारी, मधुमेह रोग, कैंसर इत्यादि से ग्रसित व्यक्ति
गंभीर स्वाइन फ़्लू के लक्षण (केटेगरी-C)
इस श्रेणी के लोगों में स्वाइन फ्लू के ऊपर लिखे लक्षणों के अतिरिक्त निम्नलिखित गंभीर लक्षण भी पाए जाते हैं :
· साँस लेने में दिक्कत
· छाती में तेज दर्द
· गफलत में जाना
· ब्लड प्रेशर कम होना
· बलगम में खून आना
· नाखून नीले पड़ जाना
इस श्रेणी से संबंधित सभी रोगियों को अस्पताल में भर्ती करना चाहिये व रोगी को अकेले में रखा जाता है , रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमिफ्लू दी जाती है और जांच भी आवश्यक है
क्या करें – क्या न करें
क्या करें |
क्या न करें |
· खाँसने और छींकने के दौरान अपनी नाकव मुंह को कपड़े अथवा रुमाल से अवश्य ढकें · अपने हाथों को साबुन व पानी से नियमितधोयें · भीड़–भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें · फ्लू से संक्रमित हों तो घर पर ही आरामकरें · फ्लू से संक्रमित व्यक्ति से एक हाथ तककी दूरी बनाए रखें · पर्याप्त नींद और आराम लें · पर्याप्त मात्रा में पानी / तरल पदार्थ पियेंऔर पोषक आहार खाएं · फ्लू से संक्रमण का संदेह हो तो चिकित्सकसे सलाह अवश्य लें I
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· गंदे हाथों से आँख, नाक अथवा मुँह कोछूना · किसी को मिलने के दौरान गले लगना,चूमना या हाथ मिलाना · सार्वजनिक स्थानों पर थूकना · बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाएं लेना · इस्तेमाल किए हुए नेपकिन, टिशू पेपरइत्यादि खुले में फेंकना · फ्लू वायरस से दूषित सतहों का स्पर्श(रेलिंग,दरवाज़े इत्यादि) · सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करना · अनावश्यकह एच 1 एन 1 की जांचेंकरवाना
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