नई दिल्ली, 24 अगस्त | भारतीय नौसेना ने बुधवार को कहा कि स्कॉर्पीन पनडुब्बी के लीक दस्तावेजों से इसके राडार से बच निकलने और इसकी संचालन क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। ऐसा इस वजह से क्योंकि यह विस्तृत ब्योरा पुराना है और इस पनडुब्बी का पता केवल खुले समुद्र में उतरने के बाद ही चलेगा। फ्रांस की कंपनी डीसीएनएस, जिसने भारत में बनाए जाने वाले पोतों की डिजाइन तैयार की है, उससे जुड़े दस्तावेज लीक हो गए हैं। इससे डर यह हो गया है कि इससे इस पनडुब्बी के राडार से बच निकलने वाले पहलू से समझौता करना पड़े।
भारतीय नौसेना के सूत्र ने कहा कि स्कॉर्पीन पनडुब्बी से जुड़े लीक दस्तावेजों का ब्योरा मान्य नहीं है, क्योंकि जब यह समुद्र में उतरेगा तभी इसका सही पता चल पाएगा। उसने यह भी कहा कि दस्तावेज में इसका जो ब्योरा दिया गया है, वे परिकल्पित हैं।
फोटो: आईएएनएस
इसी वर्ग के पनडुब्बियों के गुण अलग-अलग हो सकते हैं। यह तापमान, खारापन, भौगोलिक स्थिति और अन्य पहलुओं पर निर्भर करता है।
नौसेना इसके बावजूद इस लीक को चिंता का मुद्दा मानती है।
सूत्र ने कहा, “दस्तावेज लीक नहीं होने चाहिए, लेकिन इसे लेकर चिन्तित होने की कोई बात नहीं है।”
बताया जाता है कि स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की लीक हुई सूचना इसके प्रदर्शन एवं तकनीकी मैन्यूअल से जुड़ी है। इसमें ध्वनि संबंधी गुण, शोर का स्तर और पनडुब्बी की ध्वनि कितनी प्रसारित हुई, इसका विस्तृत ब्योरा है।
नौसेना मुख्यालय के सूत्रों ने हालांकि कहा है कि वह वर्ष 2011 का पुराना दस्तावेज है। नौसेना मुख्यालय में दस्तावेजों का विश्लेषण किया जा रहा है।
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