गैर ऐलोपैथी चिकित्सा पद्धतियों के लिये वैधानिक फ्रेम तैयार किया जाना चाहिये। चिकित्सकों की कमी को देखते हुए लोकहित में गैर ऐलोपैथिक चिकित्सकों का उपयोग पर विचार किया जाना चाहिये।
यह बात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को कही।
वह मुख्यमंत्री निवास में गैर ऐलोपैथिक चिकित्सकों की मध्यप्रदेश निजि चिकित्सक महापंचायत 2018 को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के माध्यम से दो वर्षीय डिप्लोमा और एक वर्षीय सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की घोषणा की।
उन्होने जन-स्वास्थ्य संवर्धन बोर्ड बनाने एवं स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में समिति गठित करने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि जन स्वास्थ्य संवर्धन बोर्ड गैर ऐलोपैथिक चिकित्सकों की समस्याओं का समाधान करेगा। गैर ऐलोपैथिक चिकित्सक पैरा मेडिकल काउंसिल में पंजीयन करायेंगे।
चौहान ने कहा कि उन्हें ऐलोपैथी पर्चा लिखने के लिये अधिकृत करने पर भी विचार किया जायेगा।
लोक स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जायेगी। यह समिति इन चिकित्सकों के पेशे को और सम्मानजनक बनाने संबंधी सुझाव देगी।
उन्होंने स्पष्ट कहा कि उनके हित में नियमानुसार जो कुछ भी किया जा सकता है, वह किया जायेगा।
चौहान ने कहा कि देशी चिकित्सा पद्धतियों का अपना महत्व है, इन्हें बचाये रखना चाहिये। देशी चिकत्सा पद्धति सम्पूर्णता के साथ उपचार करती है।
उन्होंने कहा कि कालांतर में एलौपैथी का प्रचलन बढता चला गया। इस पैथी में अनुसंधान होने के कारण इसकी प्रगति होते रही।
चौहान ने कहा देशी चिकित्सा पद्धतियां में भी शोध को बढ़ावा देकर और ज्यादा प्रभावी तथा उपयोगी बनाने के प्रयास होना चाहिये।
चौहान ने कहा कि आम लोगों का चिकित्सकों पर अटूट विश्वास रहता है। नया मध्यप्रदेश बनाने में गैर एलोपैथिक चिकित्सकों का योगदान महत्वपूर्ण है। प्रदेश की चिकित्सा सेवाओं को और ज्यादा सुदृढ बनाने में भी गैर एलोपैथिक चिकित्सकों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
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