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देश में विधानसभाओं को पेपरलेस बनाया जाएगा

उदयपुर में मंगलवार को सम्पन्न हुए 16वें अखिल भारतीय सचेतक सम्मेलन में देश की सभी विधानसभाओं में डिजीटाईजेशन करने और ई विधान के जरिए उन्हें पेपरलेस करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। साथ ही वेल से आने के संबंध में सभी दलों द्वारा आचार संहिता बनाने पर जोर दिया गया।

उदयपुर के होटल रेडिसन ब्लू में केन्द्रीय संसदीय कार्य मंत्रालय एवं राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 18 वें अखिल भारतीय सचेतन सम्मेलन का समापन राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल की अध्यक्षता में हुआ।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में गहन चर्चा के बाद सामने आए सुझावों तथा निष्कर्षों को अमल में लाने के लिए हर स्तर पर सार्थक क्रियान्वयन के प्रयास होंगे।

सम्मेलन समापन अवसर पर केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं में सदस्यों की अधिक से अधिक समय उपस्थिति सुनिश्चित करने, सचेतकों के लिए सुविधाओं व संसाधनों के साथ ही बेहतर प्रबंधन मुहैया कराने, विधानसभाओं की लोकोपयोगी कार्यवाही को उपयोगी बनाने के लिए इसे पुस्तकालयों में भिजवाने व इसके पठन के लिए सदस्यों को प्रेरित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने पिछले सम्मेलनों की सिफारिशों को लागू करने की गति में तीव्रता लाने, शून्यकाल को और अधिक प्रभावी बनाने और वेल में आ जाने वाले सदस्यों की स्थिति को देखते हुए कठोर अनुशासन व्यवस्था लागू करने पर बल दिया ।

सम्मेलन में 21 राज्यों के 87 संभागियों ने अपनी भागीदारी दर्ज करा गहन मंथन किया और अपने अमूल्य सुझाव दिए हैं।

उन्होंने संसदीय कार्य व्यवस्था में मौजूदा समय के अनुरूप  विधानसभाओं को ई विधान के साथ ही पेपरलेस बनाने से संबंधित गतिविधियों को पूरी प्राथमिकता से लागू करने के कार्य में तेजी लाए जाने पर जोर दिया और कहा कि इससे पारदर्शिता को मजबूती मिलेगी।

केन्द्रीय संसदीय कार्य राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि सदन में औचित्यहीन एवं अनुशासन को प्रभावित करने वाले विषयों का समावेश होने से सदन की गरिमा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए विधानसभाध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा कि जन हित एवं देश हित में आदर्श व्यवस्था कायम करने के प्रयास होने चाहिएं।

उन्होंने सदन की कार्यवाही में बहस को स्तरीय बनाने, हंगामे की स्थितियों को समाप्त करने, सैद्धांतिक और वैचारिक आधार पर निर्णय लेने की परंपरा को जारी रखने, लीडर और सचेतकों में बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए फ्लोर मैनेजमेंट को प्रभावी बनाने, बहस के दौरान हंगामे के उन्मूलन के लिए ठोस उपाय करते हुए कार्यवाही को आदर्श स्वरूप देने, सदस्यों के लिए बहुआयामी प्रशिक्षण का प्रबंध करने और विधायिका को हर मामले में आदर्श और अनुकरणीय बनाने में सभी की सशक्त  भागीदारी पर बल दिया।

मेघवाल ने कहा कि राजनीति का चरित्र तेजी से बदल रहा है और ऎसे में बेहतर संतुलन के लिए संसदीय कार्य मंत्री, सचेतकगण व सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करना होगा।