जीवन की तीसरी पारी ने ही बना दिया सुपर स्टार

पिछले दो दिन भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णिम इतिहास की संरचना कर गए। रविवार 18 दिसंबर को लखनऊ में जूनियर विश्व कप मे पंद्रह साल बाद परचम फहरा कर युवा खिलाड़ियों ने देश को यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारतीय हाकी के रूपांतरण में देर नहीं।

पुराना गौरव लौटाने के लिए इन बच्चों ने दमखम ठोक कर जता दिया कि भविष्य उनका है, दूसरी और सोमवार को चेन्नई में एक 25 बरस के बल्लेबाज करुण नायर ने टेस्ट क्रिकेट की अपनी जुमा-जुमा तीसरी ही पारी में हैरतअंगेज अजेय तिहरी शतकीय पारी खेलते हुए यह साबित किया कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य सुनहरा है। पहले लोकेश राहुल के 199 और फिर करुण के रेकॉर्डतोड़ नाबाद 303 रन क्या इस दावे की पुष्टि नहीं करते?

रणजी फाइनल में भी तिहरा शतक ठोक चुका यह कर्नाटकी, जो मां के पेट से आठ महीने में ही बाहर आ गया था और जिसकी पिछले दिनों नौका दुर्घटना में जान जाते जाते बची थी, किस फौलादी मनोदशा का स्वामी है, यह भी क्रिकेट जगत ने चिन्नास्वामी स्टेडियम चेपक में आंखें फाड़ कर देखा।

आम तौर पर देखा गया है कि कोई नया खिलाड़ी जब पहली बार तीन अंकों तक अपनी पारी ले जाने में कामयाब रहता है तो वह खुद को चांद पर पाकर बेपरवाह हो जाता है। यह सोचता है कि उसने मैदान मार लिया लेकिन महान गैरी सोबर्स और बाबी सिम्पसन की तरह करुण भी अपवाद थे। वह उस बुलंदी पर पँहुच गए जहां देश में सिर्फ सहवाग का ही नाम खुदा हुआ था।

करुण वर्षों से राष्ट्रीय टीम के लिए मजबूत दावेदारी पेश करते रहे हैं। यह बात दीगर है कि औसत दर्जे के सुरेश रैना और रोहित जैसों की न जाने कितनी बार पुन: वापसी चयनकतार्ओं ने करायी हो मगर नायर, मनीष पांडे जैसे उपेक्षित होते रहे।

तीसरे टेस्ट में चोटिल राहुल की जगह उनको बुलाया गया और वहां मिली असफलता ने उनको टीम से लगभग बाहर कर ही दिया था कि रहाणे की चोट करुण को न सिर्फ बचा पाई बल्कि उसने करुण को रातोंरात सुपर स्टार भी बना दिया।

करुण के खजाने में हर तरह के स्ट्रोक्स हैं। यह हम वर्षों से आईपीएल में देखते चले आ रहे हैं लेकिन इस करिश्मायी पारी में सबसे चौंकाने वाली बात जो दिखी वह थी स्वीप में विविधता और साथ ही शैली में गजब की आक्रामकता।

एक दिनी अंदाज वाकई उनका शिद्दत से नजर आया। राहुल द्रविड़ के इस शिष्य ने अपने उस्ताद को कितना आह्लादित किया होगा, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है।

मुश्किल होगी रोहित शर्मा जैसों के लिए टीम में वापसी। आठ बरस हो गए पर अकूत प्रतिभा के धनी होने के बावजूद रोहित ने कभी अपने विकेट की कीमत नहीं समझी और यही वजह है कि वह अब भी टेस्ट में अपना स्थान पक्का नहीं कर सके। उन्हें सीखना चाहिए राहुल और करुण जैसों से जिन्होंने मिले मोके को दोनों हाथों से दबोच लिया।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और स्तम्भकार हैं) –आईएएनएस