भारत-पाकिस्तान सीमा (Indo-Pakistan border) पर टिड्डियों में प्रजनन (locust Breeding ) समय से पहले ही शुरू हो चुका है, जहां जुलाई में टिड्डियों के पर्याप्त बच्चे हो जाएंगे जो अगस्त के मध्य में गर्मियों के मौसम में पैदा होने वाले टिड्डियों के झुंड (Locust swarm) के रुप में सामने आएंगे।
खाद्य एवं कृषि संगठन के टिड्डी स्टेटस अपडेट के अनुसार, मॉनसून की बारिश से पहले भारत-पाक सीमा की ओर जाने वाले वसंत ऋतु में पैदा हुए टिड्डियों के कई झुंडों (Locust swarm) में से कुछ भारत के पूर्वी और उत्तरी राज्यों में पहुंचे हैं और कुछ समूह नेपाल तक पहुंच गए।
पूर्वानुमान है कि मॉनसून की शुरूआत के साथ टिड्डियों का ये समूह (Locust swarm) राजस्थान लौटेगा और ईरान और पाकिस्तान से अब भी आ रहे अन्य टिड्डियों के समूहों के साथ मिल जाएगा।
इनके जुलाई के मध्य के करीब अफ्रीका के हॉर्न से आ रहे टिड्डियों के समूह (Locust swarm) के साथ मिल जाने की संभावना है।
दक्षिण-पश्चिम एशियाई देशों (अफगानिस्तान, भारत, ईरान और पाकिस्तान) के रेगिस्तानी टिड्डियों पर खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा साप्ताहिक वर्चुअल बैठक आयोजित की जा रही है।
अब तक दक्षिण पश्चिम एशियाई देशों के तकनीकी अधिकारियों की 15 वर्चुअल बैठकें हो चुकी हैं।
अभी राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में छिड़काव वाहनों के साथ 60 नियंत्रण टीमों को तैनात किया गया है और टिड्डी नियंत्रण कार्यों में केंद्र सरकार के 200 से अधिक कर्मचारी लगे हुए हैं।
इसके अलावा, राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर, नागौर और फलोदी में ऊंचे पेड़ों और दुर्गम क्षेत्रों में कीटनाशकों छिड़काव के माध्यम से टिड्डियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए 12 ड्रोन के साथ 5 कंपनियों को तैनात किया गया है।
भारत दुनिया का ऐसा पहला देश है जो टिड्डी नियंत्रण (Locust control) के लिए ड्रोन (Dron) का उपयोग कर रहा है।
गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार और हरियाणा में फसलों को कोई खास नुकसान नहीं हुआ है। हालांकि, राजस्थान के कुछ जिलों में फसलों को कुछ मामूली नुकसान हुआ है।
राजस्थान राज्य के जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, जोधपुर, नागौर, दौसा तथा भरतपुर और उत्तर प्रदेश के झांसी और महोबा जिलों में अपरिपक्व गुलाबी टिड्डियों और वयस्क पीली टिड्डियों के झुंड (Locust swarm) सक्रिय हैं।
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