नई दिल्ली, 12 अगस्त | लोकसभा ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से जम्मू एवं कश्मीर की स्थिति पर एक प्रस्ताव पारित किया और राज्य के लोगों, खास तौर पर युवाओं में विश्वास बहाली के लिए काम करने का संकल्प लिया गया। प्रस्ताव पढ़ते हुए अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कश्मीर घाटी में लंबे समय से बनी अशांति पर गहरी चिंता व्यक्त की और हालात सामान्य बनाने के लिए तुरंत कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया।
प्रस्ताव में हालांकि कहा गया, “एकता, अखंडता और राष्ट्र की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं हो सकता।”
प्रस्ताव में जम्मू एवं कश्मीर में शांति व सामान्य स्थिति की बहाली के लिए राज्य के सभी वर्गो के लोगों और देश के अन्य हिस्सों से भी योगदान की अपील की गई।
कश्मीर में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आठ जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से कश्मीर घाटी में हिंसा व तनाव व्याप्त है। इस दौरान अब तक 56 लोगों की मौत हो चुकी है।
अलगाववादी नेताओं के बंद के आह्वान के बीच घाटी में कर्फ्यू लगा हुआ है। उपद्रव शुरू होने के बाद से शिक्षण संस्थान, दुकानें, कार्यालयों एवं व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सुझाव दिया था कि कश्मीर में हालात के बिगड़ने के मद्देनजर, सदन को एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए।
इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्यसभा ने इस सप्ताह के शुरुआत में इसी तरह का एक प्रस्ताव पारित किया है और सरकार निचले सदन में भी इसी तरह का प्रस्ताव पारित करने को इच्छुक है।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय व सुदीप बंदोपाध्याय सहित कई सदस्यों के सुझाव पर अध्यक्ष ने प्रस्ताव पढ़ा।
इस मौके पर सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे।
मानसून सत्र की समाप्ति के साथ ही शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल के स्थगित कर दी गई। 16वीं लोकसभा का यह नौवां सत्र था। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अपने समापन भाषण में सत्र को पूर्णत: उत्पादक और फलदायक करार दिया। –आईएएनएस
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