भोपाल, 15 जून (जनसमा)। मध्यप्रदेश में प्याज खरीदी केन्द्रों पर लम्बी कतारें लगी हुई हैं और किसान अपना प्याज बेचने को लेकर हैरान-परेशान है। उन्हें इस बात का डर है कि अगर तेज बारिश हो गई तो उनका प्याज खराब हो जाएगा। चाहे उज्जैन हो, भोपाल हो या कोई और केन्द्र। जमीनी हकीकत बताती है कि हालात सुधर नहीं रहे हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान किसानों के घावों पर मरहम लगाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं और उन्होंने किसानों के हित में अनेक घोषणाएं भी की हैं लेकिन दूसरी ओर पिछले दिनों में सात किसान आत्महत्या कर चुके हैं। मन्दसौर गोलीकांण्ड में मारे गए किसानों की संख्या इससे अलग है।
Farmers stage a demonstration against killing of farmers of Madhya Pradesh’s Mandsaur; in New Delhi on June 15, 2017. (Photo: IANS)
मध्यप्रदेश में इस साल प्याज की बम्पर पैदावार हुई है और सरकार ने आठ रुपया प्रतिकिलो खरीदने का ऐलान किया है। परिणाम यह है कि अधिकांश जिलों में सरकारी प्याज खरीद केन्द्रों पर लम्बी-लम्बी लाइनें लगी हुई हैं और ट्रैक्टर, ट्राॅलियों और गाड़ियों में प्याज भरा पड़ा है।
किसानों ने मांग की है कि खरीद केन्द्रों में काम की गति तेज की जानी चाहिए। वहीं, खुले बाजार में व्यापारी 3 से 4 रुपया प्रतिकिलो प्याज खरीदना चाहते हैं जबकि सरकार 8 रुपया दे रही है इसलिए सरकारी खरीद केन्द्रों पर लम्बी कतारें लगी हुई हैं।
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