भारत के सभी हिस्सों में दिखाई देने वाला इस शताब्दी का सबसे लंबा संपूर्ण चंद्रग्रहण 27-28 जुलाई, 2018 को होगा। यह 1 घंटा 43 मिनट की कुल अवधि का संपूर्ण चन्द्रग्रहण होगा।
यह ग्रहण ऑस्ट्रेलिया, एशिया, रूस-उत्तरी हिस्से को छोड़कर, अफ्रीका, यूरोप, दक्षिण अमरीका के पूर्वी तथा अंटार्कटिका के क्षेत्रों में भी देखा जा सकेगा।
ऐसी लंबी अवधि के पूर्ण चंद्रग्रहण 1 घंटा 46 मिनट की कुल अवधि का 16 जुलाई, 2000 को तथा कुल 1 घंटा 40 मिनट की अवधि का 15 जून, 2011 को हुए थे।
27 जुलाई को लाल ग्रह मंगल भी सामने होगा, जिसका अभिप्राय है सूर्य तथा मंगल एक दूसरे के आमने-सामने होंगे और पृथ्वी बीच में होगी।
इसके परिणामस्वरूप मंगल पृथ्वी के निकट आयेगा जिसके कारण यह सामान्य से अधिक चमकीला दिखाई देगा तथा इसे जुलाई के अंत में सांय से सुबह तक देखा जा सकेगा।
27-28 जुलाई को आकाश में चमकदार मंगल ग्रह ग्रहण वाले चंद्रमा के बहुत निकट पहुंच जाएगा और इसे नंगी आंखों से भी बड़ी आसानी से देखा जा सकेगा।
मंगल ग्रह 31 जुलाई, 2018 को पृथ्वी के अत्याधिक निकट पहुंच जाएगा। मंगल ग्रह 2 वर्ष तथा 2 महीने के अंतराल पर सामने आता है जब यह ग्रह पृथ्वी के निकट पहुंच जाता है और अपेक्षाकृत अधिक चमकीला हो जाता है।
मंगल की यह विपरीत स्थिति अगस्त 2003 में देखने में आई थी जिस समय लगभग 60,000 सालों में दो ग्रह निकटतम दूरी पर आ गए थे।
मंगल का 31 जुलाई, 2018 को निकटतम आगमन 2 ग्रहों को अत्याधिक करीब ले आएगा और मंगल ग्रह 2003 के उपरांत अत्याधिक चमकीला दिखाई देगा।
27 जुलाई को भारतीय मानक समय के अुनसार 23 बजकर 54 मिनट पर चंद्रमा का आंशिक ग्रहण शुरू होगा।
चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी की छाया से ढक जाएगा और 28 जुलाई को भारतीय समयानुसार 1 बजे पूर्ण रूप से ग्रहण की स्थिति में आ जाएगा।
28 जुलाई को पूर्ण ग्रहण भारतीय समयानुसार 2 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। उसके बाद चंद्रमा धीरे-धीरे पृथ्वी की छाया से बाहर आना शुरू हो जाएगा और आंशिक चंद्रग्रहण 28 जुलाई को भारतीय समयानुसार 3 बजकर 49 मिनट में पूरा हो जाएगा।
इस विशेष ग्रहण के दौरान चंद्रमा पृथ्वी की अम्बरीय छाया के केंद्रीय भाग से गुजरेगा।
इसके अलावा चंद्रमा अपने चरमोत्कर्ष पर होगा जिसका अभिप्राय है 27 जुलाई को अपनी कक्षा में पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर तथा अपनी कक्षा में धीमी गति से चल रहा होगा।
पूर्ण चंद्रमा की इस धीमी गति से पृथ्वी के अम्बरीय छाया कोन की यात्रा करने में अधिक समय लगेगा तथा अधिक दूरी तय करनी पड़ेगी जिससे यह इस शताब्दी के संपूर्ण ग्रहण की सबसे लंबी अवधि होगी।
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