देश भर के हुनरमंद कारीगरों और तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा तैयार हस्तशिल्प और हथकरघा के उत्कृष्ट नमूनों के साथ बुधवार को प्रगति मैदान में आयोजित भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में ‘हुनर हाट’ का उद्घाटन किया गया।
हुनर हाट तिहाड़ से त्रिपुरा, कश्मीर से कन्याकुमारी और कर्नाटक से कोलकाता तक के हुनरमंद कारीगरों और शिल्पियों का शानदार समागम हैं। हुनर हाट 14 से 27 नवम्बर, 2017 तक खुली रहेगी।
अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय देश के विभिन्न भागों में यूएसटीटीएडी के अंतर्गत हुनर हाट का आयोजन कर रहा है और हुनर हाट रोजगार और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए एक सफल मिशन बन चुका है। साथ ही इससे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में हजारों हुनरमंद कारीगरों, शिल्पियों और पाक कला विशेषज्ञों की पहुंच बनी है।
केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि एक तरफ हुनर हाट ने हुनरमंद कारीगरों और शिल्पियों को अपनी समृद्ध विरासत और कौशल का प्रदर्शन करने का एक मंच प्रदान किया है, वहीं दूसरी तरफ ये प्रदर्शनियां इन कारीगरों और शिल्पियों को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार प्रदान कर रही है।
इस बार हुनर हाट प्रगति मैदान के हॉल नम्बर-7जी और 7एच में आयोजित किया गया है जहां 20 राज्यों और संघशासित प्रदेशों के करीब 130 कारीगर भाग ले रहे हैं जिनमें 30 महिला कारीगर है।
यह हुनर हाट पिछले हुनर हाट से अनोखा है क्योंकि पहली बार इसमें दिल्ली की तिहाड़ जेल के कैदियों द्वारा बनाए गए उत्पादों को शामिल किया गया है। इन उत्पादों में हाथ से बने फर्नीचर, हथकरघा, हस्तशिल्प, बैकरी का सामान, ऑर्गेनिक तेल, मसाले और अनाज शामिल हैं।
कारीगर अपने साथ हस्तशिल्प और हथकरघा के अनेक उत्कृष्ट नमूने लाए है जिनमें असम के केन और बांस और जूट के उत्पाद; टसर, गीजा, भागलपुर का मटका सिल्क; राजस्थान और तेलंगाना के परम्परागत आभूषण, लाख की चूड़ियां; पश्चिम बंगाल के कान्था उत्पाद; वाराणसी के ब्रोकेड; लखनवी चिकन, उत्तर प्रदेश की जरी जरदोज़ी; खुर्जा के चीनी मिट्टी के उत्पाद; पूर्वोत्तर के मिट्टी के सामान, ब्लैकस्टोन पोट्री, सूखे फूल और परम्परागत हस्तशिल्प वस्तुएं; कश्मीर के शॉल, कारपेट और पेपर मेशी; गुजरात के अजरख प्रिंट, मुटवा, कच्छ की कढ़ाई और बंधेज; मध्य प्रदेश के बाटिक/बाघ/महेश्वरी; बाड़मेर के अजरख और एप्लीक; मुरादाबाद के चमड़े के उत्पाद, पीतल का सामान; तेलंगाना की कलमकारी शामिल हैं। नए उत्पादों में पुड्डूचेरी और उत्तर प्रदेश के कारीगरों द्वारा प्राकृतिक घास से तैयार टोकरियां, राजस्थान का गोटा पट्टी काम, गुजरात की म्यूराल पेटिंग्स और बंधेज शामिल हैं।
नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय इससे पहले पुड्डूचेरी और दिल्ली में बाबा खड़ग सिंह मार्ग पर इस वर्ष और प्रगति मैदान में पिछले वर्ष हुनर हाट आयोजित कर चुका है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इसका आयोजन मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, भोपाल और अन्य स्थानों पर भी किया जाएगा। इसके अलावा हम देश के सभी राज्यों में हुनर हब स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रहे है जहां कारीगरों को वर्तमान जरूरतों के मुताबिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
हुनर हाट में आंध्र प्रदेश (2), असम (2), बिहार (4), दिल्ली (24), गुजरात (11), जम्मू और कश्मीर (9), झारखंड (1), कर्नाटक (4), मध्य प्रदेश (5), मणिपुर (1), मिजोरम (1), नागालैंड (4), पुड्डूचेरी (3), पंजाब (2), राजस्थान (12), तमिलनाडु (1), तेलंगाना (2), उत्तर प्रदेश (37), उत्तराखंड (1) और पश्चिम बंगाल (4) के कारीगर और शिल्पी भाग ले रहे हैं।
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