भोपाल, 3 सितम्बर (जस)। एप्को की ग्रीन गणेश कार्यशाला में गुरूवार को दिल्ली पब्लिक स्कूल और बिलाबाँग स्कूल के छात्र-छात्राओं का जो जोश उमड़ा उससे लगा कि मानो भारतीय संस्कृति ने ‘यू-टर्न’ ले लिया है। बच्चे भक्ति, प्यार, लगन, सृजनात्मकता के साथ मिट्टी के गणेश बना रहे थे। बच्चों ने पीओपी से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी समझा और आगे उपयोग न करने का संकल्प भी लिया। आज एक बार फिर सिद्ध हुआ कि भारतीय संस्कृति के सैकड़ो-हजारों वर्ष पूर्व बने रीति-रिवाज पर्यावरण हितैषी हैं। बच्चे आल्हादित थे कि वे अपने बनाए गणेश जी घर ले जा सकते थे।
दिल्ली पब्लिक स्कूल की कला संकाय अध्यक्ष सुचिता राय ने कार्यशाला की प्रशंसा करते हुए कहा कि कार्यशाला हर साल 2-3 चरणों में और गणेश चतुर्थी से 8-10 दिन पहले हो ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी भाग ले सकें। शिक्षिका डॉ. नम्रता शर्मा ने कहा कि कार्यशाला बच्चों के संस्कार और सृजनात्मकता को मजबूत करेगी।
बिलाबाँग हाई इन्टरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य आशीष अग्रवाल और अध्यापिका मालविका जोशी ने कहा कि कार्यशाला बच्चों में सृजनात्मकता वृद्धि के साथ पर्यावरण की रक्षा में उठाया गया अच्छा कदम है। जोशी ने कहा कि बच्चों ने जाना कि मिट्टी को बार-बार गढ़ा जा सकता है जबकि पीओपी अघुलनशील हो नुकसान पहुँचाती है।
कोलार रोड पर मंदाकिनी ग्राउण्ड पर भी लोगों की अपार भीड़ उमड़ी। हर उम्र के लोगों ने श्रद्धा, लगन और चाव से गणेश मूर्ति बनाना सीखा और उत्साह से घर ले गये। एक बुजुर्ग ने कहा कि ग्रीन गणेश की जितनी प्रशंसा की जाये कम है, पहली बार देखा है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग अपने घरों से आकर गणेशजी खुद बनाकर ले जा रहे हैं! अद्भुत। डॉ. शुभ्रता गुहा ने कहा कि एप्को का यह प्रयास बहुत सराहनीय है। अपने हाथ से सृजन का आनंद ही कुछ और है।
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