भोपाल, 10 सितंबर। यह आश्चयर्जनक परन्तु सत्य है कि मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों में पढ़ते हुए, आर्थिक अभाव से जूझते हुए प्रदेश के 20 आदिवासी बहुल जिलों के 323 विद्यार्थियों ने इस वर्ष जे.ई.ई. और एम्स, ए.आई.पी.एम.टी. और ए.आई.पी.एम.टी. (नीट) में सफलता हासिल की है। इसका उल्लेखनीय पक्ष यह है कि मण्डला, झाबुआ, धार और छिन्दवाड़ा जिले के 155 आदिवासी बच्चे इन परीक्षाओं में सफल हुए। मण्डला जिले के विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के 3 छात्र-छात्रा ने ए.आई.पी.एम.टी. (नीट) की परीक्षा उत्तीर्ण की। इन तीनों बच्चों के परिवार मजदूर वर्ग से हैं।
सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाकर और आरक्षित वर्ग के विद्यार्थियों के लिये की गयी विशेष शिक्षण व्यवस्था से यह परिणाम हासिल हुए हैं। वर्ष 2016-17 में जे.ई.ई. की परीक्षा में 250 छात्र-छात्राएँ सफल हुए और एआइपीएमटी (नीट) 73 विद्यार्थी ने सफलता हासिल की। इनमें 21 अनुसूचित-जनजाति के विद्यार्थी का आई.आई.टी. के लिये तथा शेष का एन.आई.टी. और अन्य प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेज में चयन हुआ। ए.आई.पी.एम.टी. (नीट) में सफल 73 में से 55 विद्यार्थी अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं। इसके पहले वर्ष 2015-16 में आरक्षित वर्ग के 153 छात्र-छात्रा इन परीक्षाओं में सफल हुए थे।
आदिवासी वर्ग के इन विद्यार्थियों की सफलता ने साबित कर दिया है कि मध्यप्रदेश के पिछड़े, आदिवासी और अंदरूनी क्षेत्रों में भी शिक्षा का प्रकाश फैल रहा है। वहाँ बच्चे शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। इसी के अनुरूप सरकार भी उन्हें आवश्यक सुविधाएँ और मदद उपलब्ध करवा रही है, जिसके चलते उनकी प्रतिभा परवान चढ़ रही है और राज्य सरकार के शिक्षा व्यवस्था सुधार के प्रयासों को पंख मिल रहे हैं।
(फाइल फोटो)
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