मध्यप्रदेश आर्गेनिक कॉटन के उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य गिना जाता है। दुनिया के आर्गेनिक कॉटन के कुल उत्पादन का 25 प्रतिशत उत्पादन मध्यप्रदेश में होता है। इसलिये प्रदेश में पैदा होने वाले आर्गेनिक कॉटन की राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय-स्तर पर बेहतर मार्केटिंग की आवश्यकता है।
यह जानकारी आर.सी.व्ही.पी. नरोन्हा प्रशासन अकादमी में आयोजित आर्गेनिक (जैविक) कपास सम्मेलन में मंगलवार को भोपाल में दी गई।
मेडिकल के क्षेत्र में आर्गेनिक कॉटन की माँग बढ़ी है। प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र की उत्कृष्ट कपास उत्पादन के लिये देशभर में विशिष्ट पहचान है। पिछले तीन-चार वर्षों में निमाड़ क्षेत्र में आर्गेनिक कॉटन उत्पादन में किसानों ने रुचि दिखाई है।
राज्य सरकार ने प्रदेश में जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2011 में जैविक नीति तैयार की है। इसमें किसानों को अनुदान के साथ-साथ अनेक सुविधाएँ दी जा रही हैं।
खरगोन, बड़वानी, झाबुआ और निमाड़ के कुछ जिलों में उत्कृष्ट स्तर का आर्गेनिक कॉटन उत्पादित किया जा रहा है। मध्यप्रदेश का जैविक खेती का क्षेत्रफल पिछले 7 वर्षों में 7 गुना बढ़कर करीब 6 लाख हेक्टेयर हो गया है।
प्रमुख सचिव ने बताया कि आर्गेनिक कॉटन की बदौलत जैविक उत्पाद निर्यात को 600 करोड़ से बढ़ाकर 1000 करोड़ रुपये तक पहुँचाया जा सकता है। मण्डला में जैविक कृषि संस्थान, जबलपुर में जैविक उत्पाद टेस्टिंग सेंटर और खण्डवा में आर्गेनिक कॉटन शोध संस्थान शुरू किये जा रहे हैं।
तीन सत्रों में हुई चर्चा
आर्गेनिक कॉटन सम्मेलन में तीन सत्रों में कृषि विशेषज्ञों और प्रगतिशील किसानों ने कपास उत्पादन और उसकी मार्केटिंग के बारे में विचार रखे। जैविक कपास के सुदृढ़ीकरण और सहयोगी उद्योग, जैविक कपास उत्पादन से जुड़े किसानों के जीवन-स्तर में सुधार और सार्वजनिक संस्थानों की भूमिका विषय पर भी कृषि विशेषज्ञों ने विचार रखे।
सम्मेलन का आयोजन किसान-कल्याण एवं कृषि विकास विभाग और सी एण्ड ए फाउण्डेशन ने मिलकर किया था। सम्मेलन में प्रगतिशील किसानों का सम्मान किया गया। इन किसानों ने आर्गेनिक कॉटन पैदा करने के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है।
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