भोपाल। नर्मदा की निर्मलता का सूचक मानी जाने वाली महाशीर मछली के कृत्रिम प्रजनन में मध्यप्रदेश को महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है। वन विभाग के बड़वाह वन मण्डल ने राज्य जैव-विविधता बोर्ड की मदद से दो वर्ष पूर्व संकटग्रस्त प्रजाति की नर्मदा महाशीर (टोर-टोर) के कृत्रिम प्रजनन के लिए प्रयास शुरू किए थे। इसे मध्यप्रदेश की राज्य मछली होने का गौरव भी प्राप्त है।
नदी में नर्मदा महाशीर का पाया जाना इस बात को प्रमाणित करता है कि जल पूर्ण रूप से शुद्ध एवं निर्मल है। महाशीर (टोर-टोर) को टाइगर ऑफ फ्रेश वाटर के नाम से भी जाना जाता है। नर्मदा में 30 प्रतिशत तक पाई जाने वाली इस प्रजाति की संख्या घटकर दो प्रतिशत रह गई है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो वर्ष पूर्व तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक पंकज श्रीवास्तव को महाशीर संरक्षण के निर्देश दिए थे। इस परियोजना के सुखद परिणाम आज आए जो देश के लिए अभूतपूर्व हैं। कृत्रिम हैचरिंग से महाशीर के 150 बच्चे प्राप्त हुए हैं। विभाग इनकी मदद से महाशीर की संख्या बढ़ाने का प्रयत्न करेगा। इस प्रयास से स्थानीय लोगों में भी जागरूकता आई है कि इस संकटग्रस्त प्रजाति की मछली को मारें नहीं, संरक्षित करें।
परियोजना प्रशासक, वन मण्डलाधिकारी, बड़वाह (खण्डवा) हरित ने बताया कि पिछले दो-तीन वर्षों से किए जा रहे प्रयासों से सफलता नहीं मिल पा रही थी। इस वर्ष नर्मदा की सहायक चोरल नदी के बहते पानी में वैज्ञानिकों की देखरेख में यह प्रयोग किया गया। पहली बार मिली इस सफलता में लगभग 20 प्रतिशत निषेचित अण्डों में से महाशीर के बच्चे निकले हैं। भविष्य में परियोजना को बड़े पैमाने पर लागू करने से मछुआरों को लाखों रुपये की आमदनी हो सकेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य शासन ने नर्मदा महाशीर के संरक्षण को सेवा मिशन से जोड़कर इस दिशा में निरंतर काम करने का संकल्प लिया है।
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