भोपाल, 11 जुलाई (जनसमा)। मध्यप्रदेश में पंजियन के लिए गौ-शाला समिति की कम से कम एक एकड़ की अपने स्वामित्व की भूमि और कम से कम 100 गौ-धन होना चाहिये। साथ ही भवन और पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था अनिवार्य होगी।
इस आशय का निर्णय सोमवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मध्यप्रदेश पशुधन एवं गौ-संवर्धन बोर्ड की बैठक में लिया गया। बैठक में बोर्ड का नाम मध्यप्रदेश गौ-पालन एवं गौ-संवर्धन बोर्ड रखने का भी निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री चौहान ने भारतीय गायों के महत्व पर अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला करने के निर्देश दिये। इसके जरिये भारतीय गायों के संबंध में विभिन्न देशों में हो रहे अनुसंधान की जानकारी सबको सर्वसुलभ हो सकेगी। उन्होंने गोबर-खाद और गौ-मूत्र से बने कीटनाशकों का अधिकाधिक उपयोग करने की जैविक खेती करने वाले किसानों को प्रेरित करने के लिये कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश की गौ-शालाओं में 1.41 लाख गौ-वंश का पालन किया जा रहा है। बैठक में बोर्ड का बजट बढ़ाने, आय का स्रोत बढ़ाने, गौ-अभयारण्य अनुसंधान एवं उत्पादन केन्द्र सुसनेर के प्रबंधन संबंधी विषयों पर चर्चा हुई। इसके अलावा बोर्ड के कामों में विशेषज्ञों का सलाहकार मंडल बनाने, जैविक खाद की विपणन नीति तैयार करने, पशु चिकित्सक विज्ञान की स्नातकोत्तर की शिक्षा में देशी गौ-वंश पर अनुसंधान के लिये छात्रवृत्ति देने जैसे प्रस्तावों पर चर्चा हुई।
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