=== केशरवानी / सी.एल====

छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के विकासखण्ड पथरिया में शिवनाथ नदी (Shivnath river) तट पर स्थित मदकू द्वीप (Mudku Island ) पर सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जहाँ हर साल विभिन्न संस्कृतियों के मेले लगते हैं।

कहा जाता है कि मदकू द्वीप पर कभी माण्डुक्य ऋषि का आश्रम था। ऐसी मान्यता है कि मंडूक ऋषि ने यहीं पर मंडूकोपनिषद की रचना की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नाम मंडूक पड़ा।

मदकू  द्वीप (Mudku Island ) पर हर साल चार बार मेला लगता है। यहां 9 अप्रैल को हनुमान जयंती के अवसर पर एक दिन का मेला लगता है। महाशिवरात्रि पर एक दिन का मेला लगता है। छेर-छेरा पुन्नी के अवसर पर सात दिन का मेला लगता है और 10 से 18 फरवरी तक ईसाई समुदाय का मेला लगता है।

मदकू द्वीप (Mudku Island ) बिलासपुर रेलवे स्टेशन से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सरगांव उप विकास खंड (Sargaon sub-block) द्वारा सड़क से जुड़ा हुआ है। सरगाँव जिला मुख्यालय मुंगेली से 40 किलोमीटर दूर है।

पथरिया के शिवनाथ नदी तट पर धार्मिक आस्था का  मदकू द्वीप (Mudku Island ) ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल है। यहां ईसाई एवं हिन्दू धर्मावलंबियों का मेला भरता है जो सामाजिक समरसता का अद्भूत संगम है।

यहां से प्रागैतिहासिक मध्यपाषाण काल के उपकरण, दो प्राचीन शिलालेख तथा कई पाषाण प्रतिमायें भी प्राप्त हुई है। पहला शिलालेख लगभग तीसरी शताब्दी ईस्वी का ब्रह्मी भाषा (Brahmi inscription) में है और दूसरा शिलालेख शंखलिपि (Shankhalipi) के अक्षरों से सुसज्जित है।

यहां से प्राप्त प्रस्तर शिलालेखों को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्कालीन दक्षिण पूर्व मण्डल कार्यालय विशाखापट्टनम में रखे होने की जानकारी प्राप्त होती है। इन शिलालेखों का प्रकाशन इण्डियन एपिग्राफी रिपोर्ट वर्ष 1959 में मिलता है।

मदकू द्वीप (Mudku Island ) के संबंध में विगत वर्षो में धूमनाथ महात्म्य नामक लघु पुस्तिका का प्रकाशन छत्तीसगढ़ प्रांत इतिहास संकलन समिति द्वारा किया गया है।

वर्ष 2010-2011 के पुरा उत्खनन में यहां लघु मंदिरों की श्रृंखला प्रकाश में आयी है जिसका अनुरक्षण तथा पुनर्निर्माण कार्य हुआ है।

मदकू द्वीप (Mudku Island ) के  मंदिरों के अवशेष 10-11 वीं शताब्दी ई. के हो सकते हैं। जो कलचुरी शासकों के काल में निर्मित किये गये होंगे। यहां से कलचुरी  शासक प्रतापमल्ल का एक तांबे का सिक्का भी प्राप्त हुआ है।

उत्खनन में मिले मंदिरों में से मध्य के मंदिरों के गर्भगृह का आकार बड़ा तथा उसके दोनों तरफ के मंदिरों का आकार छोटा है। उसी क्रमानुसार उनके शिखर भी निर्मित किये गये थे।

इन 18 मंदिरों में से मंदिर 7 पश्चिमाभिमुखी तथा शेष पूर्वाभिमुखी निर्मित थे। इनमें से युगल मंदिर के अलावा केवल 4 मंदिरों में अर्द्धमण्डप के निर्मित होने का भी आभास होता है।

सभी मंदिर कलचुरी काल में लगभग 10 वीं शताब्दी ई. से 14 वीं शताब्दी ई. तक के हो सकते हैं।

मदकू द्वीप (Mudku Island ) के उत्खनन से प्राप्त पुरावशेषों में उमामहेश्वर, कृष्ण, नंदी, नृत्य गणेश की दो प्रतिमा, गरूड़ासीन लक्ष्मीनारायण की दो प्रतिमा, अंबिका 5, ललाटबिम्ब 12, उपासक राजपुरूष 11, योद्धा 6, महिषासुर मर्दिनी 2, योनिपीठ 7, भास्वाहक 2, आमलक 20, कलश 19 और स्मार्तलिंग 12 प्रतिमा शामिल है।

बिना सिर के आदमी की मूर्ति वास्तुकला और कला के मामले में 10 वीं और 11 वीं शताब्दी ईस्वी की प्रतीत होती है।  पुरातात्विक खुदाई में गुप्तकालीन और कलकत्ता नक्काशी की प्राचीन मूर्तियाँ मिली हैं। बकुल के वृक्ष के नीचे गणेश की प्रतिमा में कलचर चतुर्भुजी नृत्य की प्रतिमा है। यह 11 वीं शताब्दी की एकमात्र सुंदर प्रतिमा है।

मदकू द्वीप (Mudku Island ) से उत्खनन में विभिन्न कालों के  लाल,  काले तथा धूसर रंग के मृदभाण्ड  है तथा पकी मिट्टी से निर्मित दीपक, मनके, हुक्का आदि लोहे, ताम्र तथा कांस्य धातु की वस्तुएं जैसे बाण, कुंजी, कीलें, घण्टी, चूड़ी, नथनी तथा रंग बिरंगी कांच की चूड़ियां, मनके तथा ताम्र सिक्के भी प्राप्त हुए।

इस द्वीप पर प्राचीन शिव मंदिर और कई वास्तुशिल्प ब्लॉक हैं। इस द्वीप पर लगभग 10 वीं और 11 वीं शताब्दी के दो अति प्राचीन शिव मंदिर स्थित हैं।