राष्‍ट्रपति, उप-राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री ने महाश्‍वेता देवी के निधन पर दु:ख व्‍यक्‍त किया

नई दिल्ली, 28 जुलाई | राष्‍ट्रपति, उप-राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री ने प्रख्‍यात साहित्‍यकार और समाज सेविका महाश्‍वेता देवी के निधन पर दु:ख व्‍यक्‍त किया है। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने संदेश में कहा है कि महाश्‍वेता देवी ने अपने लेखन और विशिष्‍ट शैली से बांग्‍ला साहित्‍य को समृ‍द्ध बनाया। उन्‍होंने सभी प्रकार के दमन और अन्‍याय के खिलाफ आवाज उठाई।

उपराष्‍ट्रपति एम हामिद अंसारी ने अपने संदेश में कहा कि सुश्री महाश्‍वेता देवी को हमारे देश में व्‍याप्‍त सामाजिक अन्‍याय, भेदभाव, गरीबी के बारे में जागरूकता फैलाने वाली उनकी लोकप्रिय कहानियों के लिए याद किया जाएगा।

पराष्‍ट्रपति के संदेश का मूल पाठ निम्‍नलिखित है:-

“प्रख्‍यात लेखिका एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुश्री महाश्‍वेता देवी के निधन के समाचार से मुझे गहरा दु:ख पहुंचा है।

उन्‍हें हमारे देश में व्‍याप्‍त सामाजिक अन्‍याय, भेदभाव, गरीबी और हाशिए पर मौजूद लोगों की पीड़ा के बारे में जागरूकता फैलाने वाली उनकी लोकप्रिय कहानियों के लिए याद किया जाएगा।

मैं उनके परिजनों के प्र‍ति गहरी संवेदना व्‍यक्‍त करता हूं और दिवंगत आत्‍मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।”

प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने गुरुवार को प्रख्यात लेखिका और समाज सेविका महाश्वेता देवी के निधन पर शोक जताया और उन्हें ‘करुणा, समानता एवं न्याय की आवाज’ करार दिया। मोदी ने ट्वीट किया है, “महाश्वेता देवी ने बहुत अच्छे ढंग से कलम की शक्ति की व्याख्या की। वह करुणा, समानता और न्याय की एक आवाज थीं। वह हमें गहरे दुख के साथ छोड़ गईं। ”

आकाशवाणी ने अपने प्रसारण में श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि लंबी बीमारी के बाद महाश्वेता देवी का गुरुवार को कोलकाता में निधन हो गया। वह 90 वर्ष की थीं।

14 जनवरी 1926 को ढाका में जन्‍मी महाश्‍वेता देवी का पूरा जीवन और साहित्‍य आदिवासी समाज को समर्पित रहा। पिता की लाडली तुतुल को साहित्‍य पढ़ने के संस्‍कार नानी, दादी ओर मां ने दिए। शांतिनिकेतन ने शिक्षा का संस्‍कार दिया। अपनी पहली ही रचना ”झांसी रानी’ के साथ उनके भीतर के कथाकार ने जन्‍म ले लिया। उन्‍होंने अपनी रचनाओं में सदियों से मुख्‍यधारा से बाहर धकेली गई आदिवासी अस्मिता के प्रश्‍न को शिद्दत से उठाया। उनकी ‘अरण्‍येर अधिकारी आदिवासियों के सशक्‍त विद्रोह की महागाथा है।

उनकी ‘हजार चौरासी की मां’, ‘छोटी मुण्‍डा’ एवं ‘तार तीर’, ‘रूदाली’, ‘कुलपुत्र’ जैसी रचनाएं भी समाज का आइना हैं। साहित्‍य अकादमी, पद्म विभूषण, ज्ञानपीठ पुरस्‍कार और रोमान मैगसाइसाई जैसा कौन सा पुरस्‍कार है जो महाश्‍वेता देवी के नाम से सुशोभित नहीं हुआ। सुप्रसिद्ध लेखिका के ये उद्गार आज सच साबित हो रहे हैं- एक लम्‍बे अरसे से मेरे भीतर आदिवासी समाज के लिए पीड़ा की जो ज्‍वाला धधक रही है, वह मेरी चिता के साथ ही शांत होगी…….