नई दिल्ली, 10 अप्रैल (जनसमा)। ‘उस समय सत्याग्रह आजादी के लिए आवश्यक था, इस समय स्वच्छाग्रह देश को गंदगी से मुक्ति के लिए आवश्यक है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आजादी से ज्यादा महत्व स्वच्छता को देते थे और ‘स्वच्छाग्रही बनकर कार्यांजलि’ देना ही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।’
यह बात चम्पारण सत्याग्रह के सौ साल पूरा होने के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय अभिलेखागार में आयोजित ‘स्वच्छाग्रह- बापू को श्रद्धांजलि-एक अभियान एक प्रदर्शनी’ का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कही।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘हमारे देश का इतिहास सिर्फ कुछ व्यक्तियों तक सिमटा नहीं रहा, सिर्फ कुछ परिवारों तक सिमटा नहीं रहा। हमारा देश का इतिहास वृहद, व्यापक; एक ऐसा इतिहास, जो नये रूप और संदर्भों में बार-बार लौटता है और हमें मजबूर करता है कि हम अपनी आंखें खोलें और अपने राष्ट्र की गौरवशाली संस्कृतिक परम्परा को पहचानें। इतिहास के कुछ पन्ने ऐसे होते हैं, कि वे जब भी आपको या आप उनको छूते हैं, खोलते हैं तो आपको कुछ नया बनाकर जाते हैं। इसे पारस स्पर्श कहते हैं, इतिहास का पारस स्पर्श। चंपारण का सत्याग्रह ऐसा ही पारस है। इसलिए बहुत आवश्यक है कि हम ऐसे ऐतिहासिक अवसरों को जानें, उनसे जुड़ें, हो सकें तो उन्हें जीने का प्रयास करें। ‘
“गांधी जी मूलरूप से स्वच्छाग्रही थे। वो कहते थे- “स्वच्छता आजादी से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है”। वे यह देखकर व्यथित हो जाते थे कि गांवों में लोग अज्ञानता और बेपरवाही के कारण गंदगी और अस्वच्छ स्थितियों में रहते हैं। 1917 में ही एक कार्यक्रम के दरम्यान पूज्य बापू ने कहा था कहा था, “जब तक हम अपने गांवों और शहरों की स्थितियों को नहीं बदलते, अपने आप को बुरी आदतों से मुक्त नहीं करते और बेहतर शौचालय नहीं बनाते तब तक स्वराज का हमारे लिए कोई महत्व नहीं है।”
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