नई दिल्ली, 24 अगस्त | देश की स्कॉर्पियन पनडुब्बियों से जुड़े दस्तावेजों के कथित तौर पर लीक होने के मामले में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने बुधवार को नौसेना से रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने आशंका जताई कि यह हैकिंग से जुड़ा मामला प्रतीत होता है। इस बीच, भारतीय नौसेना ने अपने बयान में कहा कि वह इस संबंध में उपलब्ध जानकारी की जांच कर रही है। नौसेना ने यह भी स्पष्ट किया कि दस्तावेज भारत से लीक नहीं हुए हैं।
स्कॉर्पियन पनडुब्बियों को फ्रांस की जहाज निर्माण कंपनी डीसीएनएस ने डिजाइन किया है और इसका निर्माण मुंबई में मझगांव डॉकयार्ड में लगभग 3.5 अरब डॉलर की लागत से किया जा रहा है।
डीसीएनएस से पनडुब्बी के विभिन्न पहलुओं की जानकारियों के लगभग 22,000 पृष्ठ लीक हुए हैं। इसमें अंडरवाटर सेंसर, पानी के ऊपर लगे सेंसर, युद्ध प्रबंधन प्रणाली, तूफान प्रक्षेपण प्रणाली और विशेषताएं, दूरसंचार प्रणाली और नौवहन प्रणाली शामिल हैं।
इस मामले में लीक जानकारियों का विश्लेषण किया जा रहा है।
पर्रिकर ने बुधवार सुबह एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि उन्हें लगभग आधी रात को कथित लीक की जानकारी मिली थी।
पर्रिकर ने संवाददाताओं को बताया, “पहला उद्देश्य यह जानना है कि क्या यह हमसे जुड़ा है। नौसेना प्रमुख (एडमिरल सुनिल लांबा) से यह जानने को कहा गया है कि असल में लीक क्या हुआ है।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनका पहला आकलन यह है कि यह लीक का नहीं, बल्कि हैकिंग का मामला प्रतीत होता है।
उन्होंने कहा, “मुझे इसकी जानकारी रात लगभग 12 बजे मिली और अब तमक मैं जो समझ सका हूं, उसके मुताबिक यह हैकिंग का मामला है। हम इसके सभी पहलुओं पर गौर करेंगे। मैंने नौसेना प्रमुख से भी इसकी पूरी जानकारी का पता लगाने को कहा है। मुझे लगता है कि अगले कुछ दिनों में मैं इस बारे में आपको जानकारी दे पाऊंगा।”
भारतीय नौसेना ने पर्रिकर के बयान के तुरंत बाद एक बयान जारी कर कहा कि यह लीक भारत में नहीं हुई है।
नौसेना की ओर से जारी आधिकारिक बयान के मुताबिक, “उपलब्ध जानकारी की जांच एकीकृत मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय (नौसेना) में की जा रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि लीक विदेशों से हुआ है, न कि भारत से।”
आस्ट्रेलियाई मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्कॉर्पियन पनडुब्बियों से संबंधित संवेदनशील डाटा लीक हो गए हैं। –आईएएनएस
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