आजादी की लड़ाई के शहीदों martyr के बंदीगृह को जबलपुर में प्रेरणा केन्द्र बनाया गया है।
यह शहीद martyr हैं गोंडवाना राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह। जबलपुर में जहां इन क्रांतिकारियों को बंदी बना कर रखा गया था, उस बंदीगृह को क्रांतिकारी प्रेरणा केन्द्र नाम दिया गया है।
प्रेरणा केन्द्र में दोनों अमर शहीदों की शहादत की स्मृति चिरस्थायी रहेंगी।
अमर शहीद गोंडवाना राजा शंकर शाह और उनके पुत्र कुंवर रघुनाथ शाह को तोप से उड़ाकर मृत्यु दंड की सजा सुनाने के बाद एक साथ पूरी रात बंदीगृह में रखा था और शर्त रखी गयी थी कि यदि वे क्षमा मांग लेंगेए तो उनकी मृत्यु दंड की सजा माफ कर दी जायेगी।
Photo प्रेरणा केन्द्र में आदिवासी नृत्य के दौरान ढोलक बजाते आदिम जाति कल्याण मंत्री ओमकार सिंह मरकाम
दोनों अमर शहीदों ने अंग्रेजों की गुलामी की जगह देश के लिये बलिदान होने का मार्ग चुना।
इन अमर शहीदों को 14 सितंबर 1857 को गिरफ्तार कर इस बंदीगृह में रखा गया और मृत्यु दंड की सजा सुनाकर 18 सितंबर 1857 को तोप से उड़ाकर मृत्यु दंड दिया गया।
प्रेरणा केन्द्र स्थापना के अवसर पर आदिवासी विकास, घुमक्कड़, अर्द्ध घुमक्कड़ एवं विमुक्त जाति मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने कहा कि 162 वर्ष बाद वह क्षण आया है, जब अदम्य साहस, देशभक्ति, त्याग और बलिदान के उन मूल्यों की प्रेरणा को स्थापित कर पाये हैं, जो 18 सितंबर 1857 के वक्त रही होगी ।
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