अखिलेश को मायावती ने दिया झटका, भाजपा ने ली चुटकी

लखनऊ, 10 मार्च । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल के मुताबिक किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि राज्य में गठबंधन करके सरकार बनाने की पहल शुरू हो गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन करने के सवाल पर बसपा ने कहा कि वह किसी के साथ गठबंधन करने नहीं जा रही है।

गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विधानसभा चुनाव में बहुमत न मिलने पर बसपा के साथ गठबंधन के विचार पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बसपा के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा, “हमारी नजर कल (11 मार्च) के नतीजों पर है और अब तक किसी के साथ गठबंधन पर विचार नहीं कर रहे हैं।

वहीं भाजपा के महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा, “प्रदेश में इस बार पूर्ण बहुमत से हमारी सरकार बनेगी। इसका आकलन पार्टी को एग्जिट पोल से पहले था। सपा सरकार में गुंडागर्दी और बसपा सरकार के भ्रष्टाचार से उप्र की जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी, ऐसे में उन्हें विकल्प के रूप में भाजपा दिख रही थी।”

उन्होंने कहा, “चुनाव से पहले सपा-कांग्रेस का गठबंधन और एग्जिट पोल आने के बाद अखिलेश यादव का बसपा से गठबंधन मानों अब हार हो चुकी है। सपा, बसपा और कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक है। केंद्र की संप्रग सरकार के समय तीनों एक साथ थे। अगर पीछे देखें तो पाएंगे कि उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के घपले और घोटालों को अखिलेश यादव ने संरक्षण दिया। इसलिए अगर अखिलेश यादव किसी भी विकल्प पर विचार करने की बात करते हैं तो जनता यह बात जानती है कि सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों एक-दूसरे मिले हुए हैं।”

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा, “गठबंधन के लिए मैं अभी इसलिए नहीं कह सकता हूं कि हम खुद सरकार बनाने जा रहे हैं। मैंने हमेशा मायावती को एक रिश्ते के तौर पर संबोधित किया है तो लोगों को लग सकता है कि कहीं हम बसपा से गठबंधन न कर लें। ये बात अभी कहना मुश्किल है, लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि हमारा बहुमत आने वाला है और हम सरकार बनाने वाले हैं। हां अगर सरकार के लिए जरूरत पड़ेगी तो देखिए, कोई नहीं चाहेगा कि राष्ट्रपति शासन हो और भाजपा रिमोट कंट्रोल से उत्तर प्रदेश को चलाएं। इससे बेहतर होगा कि सपा और बसपा साथ मिलकर सरकार बनाएं।”

अखिलेश मायावती के साथ सरकार की बात क्यों कर रहे हैं। इसका जवाब एग्जिट पोल में दिख रहा है, जिसमें उप्र में किसी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा है। लेकिन अगर बुआ और बबुआ साथ आ जाएं। यानी सपा और बसपा की सीटों को मिला दिया जाए तो संख्या बहुमत के जादुई आंकड़े से ज्यादा पहुंच सकती है।   –आईएएनएस

(फाइल फोटो)