नई दिल्ली, 24 अप्रैल। जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर हिंसा ग्रस्त राज्य में बातचीत का माहौल बनाने की जरूरत पर जोर दिया। प्रधानमंत्री आवास 7, लोककल्याण मार्ग पर मोदी से मुलाकात के बाद महबूबा ने कहा कि उनके साथ घाटी के खराब हालात पर बातचीत हुई है। मौजूदा हालात से बाहर निकालना जरूरी है। हर हालात में बातचीत जरूरी है। अटल बिहारी वाजपेयी ने जहां बातचीत छोड़ी थी वहीं से शुरुआत करनी है। बातचीत के लिए माहौल बनाना जरूरी है। एक ओर पत्थरबाजी और दूसरी ओर गोली के माहौल में बातचीत संभव नहीं है।
पत्थरबाजी को लेकर महबूबा ने कहा कि दो तरह के लोग पत्थरबाजी में शामिल हैं। एक वे जो सिस्टम से खफा हैं और दूसरे वो जिन्हें जानबूझकर उकसाया जाता है। राज्यपाल शासन पर सवाल पूछे जाने को लेकर महबूबा ने कहा कि यह सवाल केंद्र से पूछा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की… पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठबंधन पर भी चर्चा हुई।”
महबूबा ने कहा कि उनके पिता दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में स्थाई शांति के लिए एक ‘रोड मैप’ दिया था, जिसका अनुसरण किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हमें बातचीत करने की जरूरत है। हम लंबे समय तक अपने ही लोगों से टकराव की स्थिति में नहीं रह सकते। हम ऐसे माहौल में बातचीत नहीं कर सकते, जिसमें एक तरफ से पत्थरबाजी और दूसरी तरफ से गोलियां चल रही हों।”
महबूबा ने कहा, “कुछ लोग नाराज हैं, कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें उकसाया जा रहा है।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने मोदी के साथ बैठक में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि की वजह से राज्य के लोगों को होने वाले नुकसान की भरपाई करने पर भी जोर दिया।
महबूबा ने जोर देकर कहा कि वह कश्मीर घाटी में हालात सामान्य होने को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं।
उन्होंने कश्मीर के संदर्भ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नीति पर बल देते हुए कहा कि ‘वाजपेयी जी जहां छोड़ गए थे, हमें वहीं से शुरुआत करने की जरूरत है।’
सूत्रों के मुताबिक़ केंद्र सरकार कश्मीर में राष्ट्र विरोधी तत्वों पर सख़्ती के मूड में है। साथ ही केंद्र सरकार कश्मीर के मुद्दे पर अलगाववादियों और पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं चाहती जबकि महबूबा मुफ़्ती कश्मीर का संकट दूर करने के लिए बातचीत का दरवाज़ा खोलना चाहती हैं। हालांकि यहां उल्लेखनीय है कि केंद्रीय नेतृत्व कश्मीर पर बातचीत में हुर्रियत को शामिल किए जाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है।
हाल के दिनों में घाटी में क़ानून व्यवस्था को लेकर दोनों दलों के बीच मनमुटाव है। रही-सही कसर विधान परिषद चुनाव में पूरी हो गई। जहां बीजेपी उम्मीदवार को निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन देने से पीडीपी खफा हो गई।
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