नई दिल्ली, 14 अगस्त (जनसमा)। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने राष्ट्र के नाम अपने संदेश में कहा कि नेहरूजी ने हमें सिखाया कि भारत की सदियों पुरानी विरासतें और परंपराएं, जिन पर हमें आज भी गर्व है, उनका टेक्नॉलॉजी के साथ तालमेल संभव है, और वे परंपराएं आधुनिक समाज के निर्माण के प्रयासों में सहायक हो सकती हैं।
स्वतंत्रता के 70 वर्ष पूरे होने के अवसर पर उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने हमें राष्ट्रीय एकता और अखंडता के महत्व के प्रति जागरूक किया; साथ ही उन्होंने यह भी समझाया कि अनुशासन-युक्त राष्ट्रीय चरित्र क्या होता है।
कोविन्द ने कहा कि बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने संविधान के दायरे मे रहकर काम करने तथा ‘कानून के शासन’ की अनिवार्यता के विषय में समझाया। साथ ही, उन्होंने शिक्षा के बुनियादी महत्व पर भी जोर दिया।
सरकार द्वारा किये जारहे कामकाज की चर्चा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार पारदर्शिता पर जोर दे रही है, सरकारी नियुक्तियों और सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार समाप्त कर रही है, लेकिन रोजमर्रा की जिंदगी में अपने अंतःकरण को साफ रखते हुए कार्य करना, कार्य संस्कृति को पवित्र बनाए रखना – हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।
सरकार ने टैक्स की प्रणाली को आसान करने के लिए जी.एस.टी. को लागू किया है, प्रक्रियाओं को आसान बनाया है; लेकिन इसे अपने हर काम-काज और लेन-देन में शामिल करना तथा टैक्स देने में गर्व महसूस करने की भावना को प्रसारित करना – हममें से हर एक की जिम्मेदारी है।
मुझे खुशी है कि देश की जनता ने जी.एस.टी. को सहर्ष स्वीकारा है। सरकार को जो भी राजस्व मिलता है, उसका उपयोग राष्ट्र निर्माण के कार्यों में ही होता है। इससे किसी गरीब और पिछड़े को मदद मिलती है, गांवों और शहरों में बुनियादी सुविधाओं का निर्माण होता है, और हमारे देश की सीमाओं की सुरक्षा मजबूत होती है।
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